Navratri 2025: गोला क्षेत्र का सुप्रसिद्ध बीर कालिका मंदिर, जहां मां करती हैं भक्तों की हर मनोकामना पूरी

जनपद गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित गोला तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा बारानगर में सरयू नदी के तट पर विराजमान हैं मां बीर कालिका। भक्तों की आस्था और विश्वास का यह पावन स्थल नवरात्रि ही नहीं, वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहता है। पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 22 September 2025, 1:29 PM IST
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गोरखपुर:  उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर के दक्षिणांचल स्थित गोला तहसील क्षेत्र के ग्राम सभा बारानगर में सरयू नदी के तट पर विराजमान हैं मां बीर कालिका। भक्तों की आस्था और विश्वास का यह पावन स्थल नवरात्रि ही नहीं, वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहता है। मां के दरबार में पहुंचने वाला हर भक्त अपनी मनोकामना पूरी करके ही लौटता है।

चमत्कारिक ढंग से इसके बाद सरयू नदी का बहाव

जानकारी  के मुताबिक, किंवदंती है कि सैकड़ों वर्ष पहले गांव के नाविकों को नदी में एक दिव्य पिंड बहता हुआ मिला। उसे जब गांव में स्थापित किया गया तो नाविकों की नाव नदी पार नहीं कर पा रही थी। तभी गांव के शिवमंगल मल्लाह को स्वप्न में मां कालिका का आशीर्वाद मिला। मां ने कहा कि उन्हें जंगल के एकांत स्थान पर स्थापित किया जाए। सुबह पिंड को गांव से बाहर घने जंगल में स्थापित कर दिया गया। चमत्कारिक ढंग से इसके बाद सरयू नदी का बहाव बदलकर माता के स्थान के समीप आ गया और नावें आसानी से पार होने लगीं। तभी से यह स्थान देवी शक्ति का सिद्ध पीठ माना जाने लगा।

नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब

समय बीतने के साथ इस निर्जन स्थान पर फलाहारी संत बाबा बोधी दास पहुंचे। उन्होंने यहां कठोर तपस्या की और इस स्थल को रमणीक धार्मिक धाम में बदल दिया। हनुमान मंदिर व धर्मशाला का निर्माण कराया और जीवन के अंत में यहीं समाधि ली। आज भी उनकी तपस्थली भक्तों के लिए प्रेरणा का केंद्र बनी हुई है। नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। सरयू तट पर स्थित मंदिर में हर रविवार और त्योहारों पर विशेष अनुष्ठान, मुंडन, कथा और कड़ाही चढ़ाने का सिलसिला चलता है। आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में भक्त वाहन से पहुंचकर माता के दरबार में माथा टेकते हैं।

मंदिर परिसर की देखरेख और साफ-सफाई की जिम्मेदारी

गांव के मल्लाह समाज के लोग परंपरागत रूप से मां के सेवक बने हुए हैं। वही मंदिर परिसर की देखरेख और साफ-सफाई की जिम्मेदारी निभाते हैं। लेकिन बड़ी विडंबना यह है कि इतने विशाल धार्मिक स्थल पर प्रशासनिक व्यवस्था के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं किया गया है। नवरात्र व रविवार को उमड़ने वाली भीड़ के बावजूद पुलिस-प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है। ग्रामीणों और श्रद्धालुओं की मांग है कि सुरक्षा और सुविधा की उचित व्यवस्था की जाए।

आज समाजसेवियों और भक्तों के सहयोग से मंदिर व धर्मशाला का निर्माण हो चुका है। कहा जाता है कि जो भी भक्त यहां आस्था और श्रद्धा से आता है, मां उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। यही कारण है कि मां बीर कालिका का यह धाम न केवल गोरखपुर बल्कि पड़ोसी जिलों तक के लोगों के लिए आस्था का मजबूत केंद्र बन चुका है। इस दरबार में आने वाला हर भक्त खुद को धन्य समझता है और बार-बार लौटने की कामना करता है।

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