Anant Chaturdashi 2025: गणेश विसर्जन कब करना होगा सबसे मंगलकारी? जानें सही मुहूर्त और पूजा की विधि

गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक बप्पा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025, शनिवार को पड़ रही है। इस दिन शुभ मुहूर्त में गणेश जी का विसर्जन करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 3 September 2025, 4:16 PM IST
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New Delhi: हर साल गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक बप्पा का भव्य उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। भक्त गणेश जी की स्थापना बड़े उत्साह और आस्था के साथ करते हैं और दसवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर विधिपूर्वक उनका विसर्जन करते हैं। वर्ष 2025 में अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर, शनिवार को पड़ रही है। शास्त्रों में इस दिन गणेश विसर्जन का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि यह पर्व पूर्ण श्रद्धा और विधि से संपन्न करने पर परिवार में सुख-समृद्धि लाता है।

अनंत चतुर्दशी 2025 विसर्जन तिथि और समय

  • चतुर्दशी तिथि आरंभ: 6 सितंबर 2025, प्रातः 3:12 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: 7 सितंबर 2025, 01:41 AM
Ganesh Visarjan Vidhi (Img: Google)

गणेश विसर्जन विधि (Img: Google)

विसर्जन का शुभ समय

  • प्रातः काल का मुहूर्त (शुभ): प्रातः 07:36 बजे से प्रातः 09:10 बजे तक
  • दोपहर का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): दोपहर 12:19 बजे से शाम 05:02 बजे तक
  • सायंकाल मुहूर्त (लाभ): सायं 06:37 बजे से रात्रि 08:02 बजे तक
  • रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): रात्रि 09:28 बजे से 01:45 पूर्वाह्न तक
  • उषाकाल मुहूर्त (लाभ): 7 सितंबर प्रातः 04:36 बजे तक सुबह 6:02 बजे

10 दिन बाद ही क्यों होता है गणेश विसर्जन?

गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति स्थापित करते समय यह संकल्प लिया जाता है कि बप्पा हमारे घर 10 दिनों तक विराजेंगे। इस अवधि में भक्त लगातार पूजा, आरती और भोग लगाकर उनका आदर करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि गणेश प्रतिमा का विसर्जन समय पर और विधि से न किया जाए तो इसे दोष माना जाता है। यही कारण है कि अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन अनिवार्य माना गया है।

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गणेश विसर्जन विधि

गणेश विसर्जन को हमेशा शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी की अंतिम पूजा करें और उन्हें दूर्वा, फूल, मोदक और लड्डू अर्पित करें। इसके बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप और गणेश स्तोत्र का पाठ करें। परिवार के सभी सदस्य मिलकर आरती करें और नाचते-गाते बप्पा की प्रतिमा को जल में प्रवाहित करें।

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यदि घर पर विसर्जन कर रहे हैं तो एक साफ बर्तन में पानी भरकर उसमें मूर्ति का विसर्जन किया जा सकता है। जब मूर्ति पूरी तरह से गल जाए तो उस जल को पौधों में डाल देना चाहिए। विसर्जन से पहले पूरे उत्साह से जयकारा लगाना न भूलें “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।”

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