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छठ पूजा 2025 कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तक चलती है। सूर्य देव और छठी मैया की आराधना को समर्पित यह पर्व आत्म-शुद्धि और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है। जानें छठ पूजा का महत्व और प्रसाद के लिए आवश्यक पूजन सामग्री की पूरी सूची।
छठ पर्व का महत्व
New Delhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पर्व, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है, सूर्य उपासना का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और प्रत्येक दिन का अपना विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। यह मुख्यतः बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्व की शुरुआत महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी, जिन्होंने सूर्य देव की पूजा करके अपार शक्ति और तेज प्राप्त किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सीता ने भी अयोध्या लौटने के बाद छठ व्रत रखा था।
तीसरे दिन को इस चार दिवसीय पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएँ और पुरुष नदी, तालाब या घाट के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह अर्घ्य परिवार की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह पर्व संपन्न होता है।
सूर्य देव और छठी मैया की उपासना
छठ व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। व्रती 36 घंटे का उपवास रखते हैं, अर्थात इस दौरान वे जल भी ग्रहण नहीं करते। यह व्रत आत्म-शुद्धि और दृढ़ संकल्प की परीक्षा माना जाता है। भक्त पूरी आस्था और पवित्रता के साथ इस व्रत का पालन करते हैं।
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छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। इन्हें पूरी सफाई के साथ बाँस की टोकरी या दउरा में रखा जाता है। पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री हैं:
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छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का संदेश भी देता है। इस दौरान श्रद्धालु जल स्रोतों की सफाई करते हैं और प्राकृतिक तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।