Chhath Puja: डूबते सूर्य को आज दिया जाएगा अर्घ्य, जानिए अर्घ्य का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

डीएन ब्यूरो

नहाए-खाए और खरना के बाद इस महापर्व में आज गुरुवार को संध्याकाल में डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

डूबते हुए सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य
डूबते हुए सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य


पटना: छठ महापर्व (Chhath Festival) पूरे देश में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज गुरुवार को छठ का तीसरा दिन है। नहाए-खाए और खरना के बाद इस महापर्व में आज संध्याकाल में डूबते सूरज (Setting Sun) को अर्घ्य (Arghya) दिया जाएगा। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस दिन पहले भगवान सूर्य (Sun) और छठी मैय्या (Chhathee Maiyya) की विधिवत पूजा की जाती है। फिर शाम के समय अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। कहते हैं कि इस दिन सूर्य देव की उपासना से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। आइए आपको छठ पर्व के तीसरे दिन की पूजन विधि और संध्या अर्घ्य का समय बताते हैं।

सूर्य अर्घ्य देने का समय
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, 7 नवंबर को सूर्योदय प्रातः 06:42 बजे होगा। जबकि सूर्यास्त शाम 05:48 बजे होगा। इस दिन नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। ज्योतिषियों का कहना है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती हैं। 

छठ पर्व की कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परन्तु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे।

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उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। हे! राजन् आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

छठ की पूजन विधि

1. छठ पूजा के लिए दो बड़े बांस की टोकरी लें, जिन्हें पथिया और सूप के नाम से जाना जाता है।

2. इसके साथ ही डगरी, पोनिया, ढाकन, कलश, पुखार, सरवा भी जरूर रख लें।

3. बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने वाला भोग रखा जाता है। जिनमें ठेकुआ, मखान, अक्षत, भुसवा, सुपारी, अंकुरी, गन्ना आदि चीजें शामिल हैं।

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4. इसके अलावा टोकरी में पांच प्रकार के फल जैसे शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ (बड़ा वाला नींबू) रखा जाता है।

5. इसके साथ ही टोकरी में पंचमेर यानी पांच रंग की मिठाई रखी जाती है। जिन टोकरी में आप छठ पूजा के लिए प्रसाद रखा रहे हैं उन पर सिंदूर और पिठार जरूर लगा लें।

6. छठ के पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।

7. इस दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या सूप का उपयोग करना चाहिए।

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