जापान और भारत के वर्क कल्चर में क्या फर्क है? जानें किस देश में है सबसे ज्यादा आरामदायक नौकरी

जापान और भारत की कार्य संस्कृति में गहरे अंतर हैं। जापान में सामूहिकता और समर्पण का महत्व है, वहीं भारत में व्यक्तिगत प्रदर्शन और रिलेशनशिप पर जोर दिया जाता है। जानिए दोनों देशों की वर्क कल्चर की प्रमुख विशेषताएं।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 5 October 2025, 4:56 PM IST
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New Delhi: जापान और भारत दोनों देशों की कार्य संस्कृति अपनी-अपनी ऐतिहासिक और सामाजिक जड़ों से गहरे प्रभावित हैं। हालांकि दोनों देशों की कार्य संस्कृति में समानताएं हैं, लेकिन उनका दृष्टिकोण, काम करने का तरीका और मूल्य प्रणाली में काफी अंतर हैं। आइए फिर जानते हैं कि दोनों देशों की कार्य संस्कृति में क्या अंतर है और कौन सबसे ज्यादा बेहतर है।

निर्णय लेने की प्रक्रिया

जापान: जापान में निर्णय लेने की प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और यह सर्वसम्मति पर आधारित होती है, जिसे Nemawashi कहा जाता है। किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले सभी की सहमति सुनिश्चित की जाती है। इस प्रक्रिया में समय लगता है, लेकिन यह एक सशक्त और स्थिर निर्णय सुनिश्चित करता है।

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भारत: भारत में निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक केंद्रीयकृत होती है। निर्णय अक्सर टॉप मैनेजमेंट या व्यक्तिगत नेता द्वारा जल्दी लिया जाता है। यह प्रणाली तेज़ है, लेकिन कभी-कभी प्रभावी निर्णय लेने में कमी हो सकती है।

काम के घंटे और लीव पॉलिसी

जापान: जापानी कार्य संस्कृति में अत्यधिक काम के घंटे और समर्पण को महत्व दिया जाता है। कर्मचारी अक्सर छुट्टी लेने से कतराते हैं, जो कि कारोशी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। कारोशी का अर्थ है अत्यधिक काम करने से मृत्यु या स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं।

भारत: भारत में भी काम के घंटे लंबे हो सकते हैं, लेकिन यहां छुट्टियों का इस्तेमाल करने में कर्मचारी ज्यादा सहज होते हैं। भारतीय कार्यस्थल पर काम के घंटे भले ही लंबे हों, लेकिन कर्मचारियों को लचीलापन और छुट्टियों का अधिक लाभ मिलता है।

संचार शैली

जापान: जापान में संचार शैली काफी इनडायरेक्ट होती है और यह संदर्भ (Context) पर निर्भर करती है। सीधे न कहना यहाँ सामान्य नहीं होता, जिससे बाहरी लोगों के लिए संदेश समझना मुश्किल हो सकता है। यहां बिना शब्दों के ही बहुत कुछ कह दिया जाता है।

भारत: भारत में संचार शैली ज्यादा डायरेक्ट होती है। यहां पर कर्मचारी स्पष्ट और प्रभावी तरीके से अपनी बात रखते हैं और औपचारिकता को ध्यान में रखते हुए संवाद करते हैं।

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क्वॉलिटी पर फोकस

जापान: जापान में परफेक्शन और जीरो डिफेक्ट्स पर ज्यादा जोर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को Kaizen कहा जाता है, जो निरंतर सुधार और गुणवत्ता में वृद्धि की मानसिकता को दर्शाता है।

भारत: भारत में भी गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है, लेकिन यहां पर काम की गति और समय पर डिलीवरी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।

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Published : 
  • 5 October 2025, 4:56 PM IST