

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि मई में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने में उनकी अहम भूमिका रही। ट्रंप ने कहा कि उनकी दखल से बड़ा संघर्ष टल गया, जबकि भारत बार-बार उनके दावे को खारिज करता आया है।
PAK आर्मी चीफ और ट्रंप की बातचीत
Washington: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात को लेकर बड़ा दावा किया है। ट्रंप ने कहा कि मई महीने में जब दोनों देशों के बीच हालात बेहद गंभीर हो गए थे, तब उन्होंने हस्तक्षेप कर युद्ध को रुकवाया। उनके अनुसार अगर उस समय दखल न दिया जाता तो दोनों परमाणु शक्तियां सीधी जंग में उतर सकती थीं।
एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर उनसे मिलने आए थे। उस दौरान मुनीर ने कहा था, 'इस शख्स ने लाखों जिंदगियां बचाई हैं क्योंकि इन्होंने युद्ध को रोक दिया।' ट्रंप ने आगे कहा कि संघर्ष चार दिन तक चला और इस दौरान सात लड़ाकू विमानों को मार गिराए जाने की खबरें थीं।
ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों को चेतावनी दी थी। उनके शब्दों में, 'भारत और पाकिस्तान आमने-सामने थे। मैंने दोनों को फोन किया और कहा कि अगर युद्ध शुरू हुआ तो व्यापार बंद कर दूंगा। आप दोनों परमाणु राष्ट्र हैं, यह नहीं हो सकता। मैंने इस युद्ध को रोका।' हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि सात विमानों का नुकसान किस देश को उठाना पड़ा।
ट्रंप का नया दावा
भारत ने ट्रंप के दावे को एक बार फिर खारिज किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ युद्धविराम या संघर्ष विराम पर बातचीत हमेशा द्विपक्षीय स्तर पर होती है। भारत का कहना है कि डीजीएमओ (Director Generals of Military Operations) के बीच सीधी बातचीत के बाद ही समझौते पर सहमति बनी थी। किसी बाहरी देश की भूमिका इसमें नहीं थी।
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इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में दावा किया कि उनकी वायुसेना ने मई की झड़प के दौरान सात भारतीय लड़ाकू विमान गिराए। उनके मुताबिक हमारे फाल्कन्स ने उड़ान भरते ही 7 भारतीय जेट्स को कबाड़ बना दिया।
हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों ने पाकिस्तान के इस दावे की पोल खोल दी। इमेजरी से साफ हुआ कि भारतीय वायुसेना के हमलों से पाकिस्तान के एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा था। वहां रनवे और हैंगर तबाह हुए, जबकि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई पूरी तरह नाकाम रही।
ट्रंप ने इस प्रसंग को जोड़ते हुए यह भी कहा कि शायद उन्हें इस उपलब्धि के लिए नोबेल शांति पुरस्कार न मिले, जबकि यह सम्मान किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जा सकता है “जिसने कुछ भी नहीं किया।” हालांकि उन्होंने साफ किया कि उनका मकसद व्यक्तिगत पहचान नहीं, बल्कि अमेरिका के हितों की रक्षा और शांति स्थापित करना है।