

डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा में बंधकों की रिहाई को लेकर हमास को आखिरी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इजरायल ने समझौते की शर्तें मान ली हैं, अब हमास को भी तैयार होना चाहिए। अगर हमास ने इनकार किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
ट्रंप की आखिरी चेतावनी
New Delhi: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए फिलिस्तीनी संगठन हमास को गाजा में बंदी बनाए गए बंधकों की रिहाई के लिए अंतिम चेतावनी दी है। रविवार, 7 सितंबर को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक कड़ा संदेश पोस्ट करते हुए कहा कि "अब और नहीं! यह मेरी आखिरी चेतावनी है।"
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम योजना के तहत हमास को युद्धविराम के पहले दिन ही अपने कब्जे में रखे गए 48 बंधकों को रिहा करना होगा। इसके बदले में इजरायल सरकार हजारों फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई है। ट्रंप ने अपने बयान में कहा, "हर कोई चाहता है कि यह युद्ध खत्म हो और बंधक अपने घर लौटें। इजरायलियों ने मेरी शर्तों को मान लिया है। अब हमास की बारी है। यदि उन्होंने इस मौके को गंवा दिया, तो उन्हें अंजाम भुगतना होगा।"
ट्रंप की आखिरी चेतावनी
इजरायल ने फिलहाल ट्रंप के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करते हुए इसे स्वीकार कर लिया है। एक वरिष्ठ इजरायली अधिकारी ने बताया कि युद्धविराम और कैदी विनिमय की योजना पर चर्चा जारी है और सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने को तैयार है। दूसरी ओर हमास ने इस समझौते को लेकर संदेह जताया है। संगठन का कहना है कि इजरायल ने पूर्व में किए गए युद्धविराम समझौतों का उल्लंघन किया है, इसलिए वह किसी भी नई डील पर भरोसा नहीं कर सकता।
ट्रंप के इस बयान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल बढ़ गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप आने वाले अमेरिकी चुनावों को देखते हुए मध्य-पूर्व की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके इस सख्त बयान से साफ संकेत मिलते हैं कि वे वैश्विक मामलों में अमेरिकी प्रभुत्व को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं।
हालांकि, ट्रंप के हस्तक्षेप पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका को इस जटिल स्थिति में संतुलित और संयमित भूमिका निभानी चाहिए, न कि एकतरफा दबाव बनाना चाहिए। बहरहाल, ट्रंप के इस बयान ने हमास पर दबाव जरूर बढ़ा दिया है। अगर वह इस प्रस्ताव को नहीं मानता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने का खतरा हो सकता है।
इस समय गाजा और इजरायल दोनों ही पक्ष युद्धविराम की ओर बढ़ते दिख रहे हैं, लेकिन विश्वास की कमी और पुरानी गलतियों की वजह से समझौता मुश्किल होता जा रहा है। ट्रंप की पहल अगर सफल होती है, तो यह न सिर्फ क्षेत्रीय शांति के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि ट्रंप की कूटनीतिक साख भी बढ़ेगी।