

नेपाल में युवाओं का विरोध हिंसक हो गया है। काठमांडू समेत कई जगहों पर संसद, राष्ट्रपति आवास व सरकारी इमारतों में आगजनी की गई। मंत्रिपरिषद भवन पर हेलीकॉप्टर उतारे गए।
नेपाल में हिंसक प्रदर्शन
kathmandu: नेपाल में चल रहे विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को उग्र रूप ले लिया। काठमांडू की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ उतर आए और उन्होंने संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, राष्ट्रपति भवन समेत कई सरकारी इमारतों में तोड़फोड़ कर उन्हें आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने जगह-जगह हिंसा फैलाते हुए सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुँचाया।
प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, राष्ट्रपति भवन और पूर्व प्रधानमंत्री के आवास को भी निशाना बनाया। उन्होंने इन जगहों पर जमकर तोड़फोड़ की और फिर आग लगा दी। इसके अलावा कई सरकारी कार्यालयों को नुकसान पहुंचाया गया। काठमांडू की सड़कों पर अब भी प्रदर्शनकारियों का कब्जा है और सुरक्षाकर्मी उन्हें नियंत्रित करने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।
स्थिति को देखते हुए सरकार ने काठमांडू से बाहर जाने की तैयारी शुरू कर दी है। मंगलवार को मंत्रिपरिषद की इमारत पर एक-एक करके 9 हेलीकॉप्टर उतारे गए। बताया जा रहा है कि सरकार के मंत्री इन हेलीकॉप्टरों की मदद से शहर छोड़ सकते हैं। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि मंत्रिपरिषद भवन में भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर तोड़फोड़ की और आगजनी की।
इस्तीफों से हिला नेपाल
काठमांडू के अलावा बीरगंज में भी प्रदर्शनकारियों ने उग्र रूप धारण कर लिया। वहां भीड़ ने सरकारी भवनों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। प्रशासन की कोशिशें बेअसर साबित हो रही हैं और लोग बड़े स्तर पर सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की संसद भवन को भी आग के हवाले कर दिया। इसे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ा हमला माना जा रहा है। कई जगहों पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं, लेकिन भीड़ पर काबू नहीं पाया जा सका।
यह विरोध प्रदर्शन केवल आर्थिक समस्याओं या बेरोजगारी को लेकर नहीं है, बल्कि सरकार की नीतियों और प्रधानमंत्री ओली की नेतृत्व शैली के खिलाफ भी है। युवाओं में नाराजगी साफ देखी जा रही है, और लगातार हिंसा की घटनाएँ राजनीतिक अस्थिरता की ओर इशारा कर रही हैं।
नेपाल की स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। प्रदर्शनकारियों का उग्र रुख सरकार के लिए गंभीर संकट बन गया है, और यह देखना बाकी है कि क्या प्रशासन हालात पर नियंत्रण पा सकेगा या देश में और बड़ा राजनीतिक परिवर्तन होगा।