

इज़राइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बेहद विवादास्पद बयान देकर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है।
इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: इज़राइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बेहद विवादास्पद बयान देकर वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। नेतन्याहू ने कहा कि यदि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को निशाना बनाया जाए, तो यह कदम इस संघर्ष को समाप्त कर देगा, न कि और बढ़ाएगा।
नेतन्याहू का यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव चरम पर है। उन्होंने दावा किया कि ईरान क्षेत्र में “हमेशा के युद्ध” को बढ़ावा दे रहा है और परमाणु युद्ध की ओर दुनिया को धकेल रहा है।
संघर्ष को खत्म करेगा
जब नेतन्याहू से यह पूछा गया कि क्या अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अतीत में खामेनेई को निशाना बनाने की योजना को रोका था, क्योंकि इससे बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ने की आशंका थी—तो नेतन्याहू ने साफ कहा, “यह संघर्ष को बढ़ाएगा नहीं, बल्कि समाप्त करेगा।”
उन्होंने कहा कि ईरान की आक्रामकता और उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं। “हम वही कर रहे हैं जो ज़रूरी है, ताकि यह टकराव और विनाश की ओर न बढ़े,” उन्होंने कहा।
ईरान चाहता है हमेशा का युद्ध
नेतन्याहू ने ईरान पर आरोप लगाया कि वह पश्चिम एशिया में अशांति और 'फॉरेवर वॉर' (हमेशा का युद्ध) को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, “ईरान हमें परमाणु युद्ध के कगार पर ला चुका है। इज़राइल इन ताकतों के खिलाफ खड़ा होकर इस खतरे को रोक रहा है।”
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को मिला झटका
नेतन्याहू ने दावा किया कि हाल ही में इज़राइल द्वारा किए गए हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को “बहुत लंबा समय” पीछे धकेल दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इज़राइल का उद्देश्य तेहरान में सत्ता परिवर्तन करना नहीं है, लेकिन यह संभव है कि मौजूदा सरकार गिर जाए।
उन्होंने ईरानी शासन को "कमज़ोर" बताया और यह भी जोड़ा कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ लगातार संपर्क में हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
नेतन्याहू के इस बयान ने वैश्विक मंच पर चिंता बढ़ा दी है। विश्लेषकों का मानना है कि खामेनेई को निशाना बनाना पश्चिम एशिया में एक बड़े युद्ध को भड़का सकता है। अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया अब इस मामले में निर्णायक मानी जा रही है।