

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने UNGA में कहा कि शांति तभी संभव है जब इजरायल की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाए। गाजा में 20 हजार शांति सैनिक भेजने की पेशकश भी की। इजरायल के अस्तित्व को स्वीकारने की बात कही, बल्कि उसकी सुरक्षा की गारंटी की मांग भी की।
गाजा और इजरायल संघर्ष
Gaza: गाजा और इजरायल के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष पर पहली बार बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जहां अब तक मुस्लिम देश लगातार इजरायल के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं, वहीं दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देश इंडोनेशिया ने हैरान करने वाला रुख अपनाया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने संबोधन के दौरान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने न केवल इजरायल के अस्तित्व को स्वीकारने की बात कही, बल्कि उसकी सुरक्षा की गारंटी की मांग भी की।
UNGA में 19 मिनट के अपने संबोधन में प्रबोवो सुबिआंतो ने कहा, “हमें इजरायल की सुरक्षा और सेफ्टी का भी ध्यान रखना होगा। तभी असली शांति स्थापित हो सकती है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि इंडोनेशिया शांति चाहता है और इसके लिए संतुलित दृष्टिकोण जरूरी है। अपनी स्पीच के अंत में उन्होंने यहूदी अभिवादन शब्द “शलोम” का इस्तेमाल किया, जो शांति और सद्भाव का प्रतीक है।
गाज़ा संकट पर इंडोनेशिया का ऐलान
इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने कहा कि जब इजरायल फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा, तब वह भी तुरंत इजरायल को मान्यता देंगे। यह बयान ऐसे समय आया है जब गाजा में लगातार हमलों के चलते माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है और मुस्लिम देशों की नाराजगी चरम पर है।
प्रबोवो सुबिआंतो ने अपनी स्पीच में बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) फैसला लेती है तो इंडोनेशिया गाजा में शांति बहाल करने के लिए अपने 20 हजार सैनिक भेजने को तैयार है। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर भी शांति स्थापित करना चाहते हैं। जहां भी जरूरत होगी, इंडोनेशिया अपने बेटे-बेटियों को भेजने के लिए प्रतिबद्ध है।”
राष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट किया कि इंडोनेशिया केवल गाजा ही नहीं, बल्कि यूक्रेन, सीरिया और लीबिया जैसे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में भी शांति सैनिक भेजने के लिए तैयार है। उनका कहना था कि शांति स्थापित करने के लिए दुनिया को यह संदेश देना जरूरी है कि ताकत से सबकुछ संभव नहीं है।
अपने संबोधन में प्रबोवो ने धर्मों के बीच सद्भाव पर जोर देते हुए कहा कि हिंदू, मुस्लिम, यहूदी, ईसाई और बौद्ध सभी को एक परिवार की तरह रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया इस सोच को हकीकत में बदलने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने संस्कृत मंत्र “ॐ शांति शांति, शांति ओम” का उच्चारण भी किया, जो शांति और सह-अस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब 15 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में 60 मुस्लिम देशों की अर्जेंट मीटिंग हुई थी। यह बैठक हमास के अधिकारियों पर इजरायली हमले के बाद बुलाई गई थी। इस मीटिंग में ज्यादातर मुस्लिम देशों ने इजरायल के खिलाफ तीखा रुख अपनाया था।