

अमेरिका ने एच-1बी वीजा के नए आवेदकों के लिए 1 लाख डॉलर शुल्क लागू किया है। जानें किन पर लागू होगा यह नियम, भारतीय आईटी कंपनियों और प्रोफेशनल्स पर क्या होगा असर।
ट्रंप का नया H-1B नियम लागू
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B visa नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए नए आवेदनों पर 1 लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) का शुल्क लागू कर दिया है। यह आदेश 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गया है। ट्रंप के इस कदम से प्रवासी समुदाय, खासकर भारतीय पेशेवरों में गहरी चिंता और असमंजस की स्थिति बन गई है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लेविट ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा। यह कोई वार्षिक शुल्क नहीं है और न ही पहले से वीजा धारकों पर इसका असर पड़ेगा। मौजूदा वीजा धारक देश से बाहर जाकर दोबारा प्रवेश कर सकते हैं। वहीं, वीजा नवीनीकरण पर भी यह शुल्क नहीं लिया जाएगा।
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने कहा कि नया नियम केवल उन्हीं आवेदनों पर लागू होगा, जो 21 सितंबर के बाद दायर किए जाएंगे। पहले से लंबित या स्वीकृत आवेदनों पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
आज से H-1B वीजा होगा महंगा
भारतीय नागरिकों की मदद के लिए अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने मोबाइल नंबर +1-202-550-9931 जारी किया है। इस नंबर पर कॉल या व्हाट्सएप के जरिए केवल आपातकालीन स्थिति में संपर्क किया जा सकता है।
एच-1बी वीजा का सबसे अधिक लाभ भारतीय आईटी कंपनियों और पेशेवरों को मिलता है। इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो जैसी कंपनियां अमेरिका में बड़े स्तर पर प्रोजेक्ट्स करती हैं। नए शुल्क से इनके लिए कर्मचारियों को अमेरिका भेजना महंगा हो जाएगा। कई कंपनियां अब ऑफशोर मॉडल अपनाकर प्रोजेक्ट्स भारत से ही पूरे कराने पर विचार कर सकती हैं।
नैसकॉम ने सदस्य कंपनियों से कहा है कि वे अमेरिका से बाहर रह रहे अपने H-1B visa धारकों को तुरंत वापस बुला लें। संगठन का मानना है कि इतने बड़े फैसले से पहले उद्योग जगत से विचार-विमर्श होना चाहिए था।
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इस आदेश के बाद अमेरिका में रह रहे कई भारतीयों ने दिवाली और पारिवारिक समारोहों के लिए भारत आने की योजनाएं रद्द कर दी हैं। कई लोग जो पहले से भारत में हैं, वे भी वापसी को लेकर असमंजस में हैं।
H-1B visa विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में नौकरी करने की अनुमति देता है। यह खासकर आईटी, आर्किटेक्चर और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को दिया जाता है। कंपनियां इस वीजा के जरिए विदेशी कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि के लिए अमेरिका ला सकती हैं।
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यूएससीआईएस के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अमेजन के पास 10,044 एच-1बी वीजा हैं, जबकि टीसीएस 5,505 वीजा के साथ दूसरे स्थान पर है। माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, एपल, गूगल जैसी कंपनियां भी शीर्ष लाभार्थियों में शामिल हैं।