

जेन-जी आंदोलन के कारण नेपाल को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। पर्यटन, होटल, ऑटो और टेलीकॉम सेक्टर में अरबों का घाटा हुआ है, जबकि हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। राजनीतिक अस्थिरता और आगामी चुनावों से हालात और बिगड़ने की आशंका है।
जेन-जी आंदोलन का आर्थिक कहर
Kathmandu: नेपाल में हाल ही में हुए जेन-जी आंदोलन ने राजनीतिक हलचल के साथ-साथ आर्थिक आपदा भी खड़ी कर दी है। जन असंतोष से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन अब देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाल चुका है। आंदोलनों के दौरान हुई हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान ने अरबों की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। काठमांडू पोस्ट के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, इस आंदोलन से नेपाल को करीब 3 लाख करोड़ रुपये (NPR) का सीधा नुकसान हुआ है, जो कि देश की कुल सालाना बजट राशि के लगभग डेढ़ गुना के बराबर है।
सितंबर-नवंबर के महीने आमतौर पर नेपाल में पर्यटन सीजन माने जाते हैं। यह समय होता है जब हिमालय ट्रेकिंग, कैलाश मानसरोवर यात्रा, दरबार स्क्वायर, पोखरा और चितवन जैसे पर्यटक स्थल दुनियाभर के पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। लेकिन इस बार सड़कों पर प्रदर्शन और कर्फ्यू के कारण नज़ारा एकदम उलट है। पर्यटकों की संख्या में 60% तक गिरावट आई है, जिससे होटल, टैक्सी, गाइड, ट्रैवल एजेंसियों और एयरलाइंस को जबरदस्त नुकसान हुआ है। होटल एसोसिएशन नेपाल के अनुसार, अब तक 25 अरब रुपये से अधिक का नुकसान केवल होटल इंडस्ट्री को हुआ है। होटल व्यवसायी योगेंद्र शाक्य ने कहा कि हमारे कमरे खाली हैं, बुकिंग रद्द हो रही हैं और कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना पड़ा है। इस संकट से उबरने में लंबा वक्त लगेगा।
जेन-जी आंदोलन का आर्थिक कहर
नेपाल का व्यवसायिक जगत भी इस राजनीतिक उथल-पुथल से अछूता नहीं रहा। देश के दो सबसे बड़े कॉरपोरेट समूह भट-भटेनी सुपरमार्केट और चौधरी ग्रुप (CG) को करोड़ों का नुकसान हुआ है। वहीं, टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनी एनसेल के कई टावर तोड़े गए हैं, जिससे सेवा बाधित हुई है। ऑटो सेक्टर को भी प्रदर्शन के कारण वाहनों की डिलीवरी रुकने और शोरूम में तोड़फोड़ के चलते 15 अरब रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है। भट-भटेनी ने एक बयान में कहा कि हम इस चुनौतीपूर्ण समय में भी ग्राहकों के साथ खड़े हैं और जल्द ही पुनर्निर्माण करेंगे। वहीं, निर्वाण चौधरी (CG निदेशक) ने कहा कि हम विश्वास रखते हैं कि नेपाल फिर खड़ा होगा। लेकिन इसके लिए स्थायित्व और स्पष्ट नीति की ज़रूरत है।
मार्च 2026 में होने वाले आगामी आम चुनाव भी सरकार के लिए एक और चुनौती हैं। इन चुनावों के लिए सरकार को 30 अरब रुपये से अधिक खर्च करने पड़ सकते हैं, जबकि खजाना पहले ही खाली हो चला है।
नेपाल के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सुरक्षा कारणों से कई यात्रियों ने बुकिंग रद्द की है। यह यात्रा नेपाल के लिए धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा स्रोत होती है, लेकिन मौजूदा हालात ने इस पर भी ब्रेक लगा दिया है।