

नेपाल की नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की पर सत्ता संभालते ही विरोध के बादल मंडराने लगे हैं। जन आंदोलन के नायक सुदन गुरुंग और उनके संगठन ‘हामी नेपाल’ ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। पीएम आवास के बाहर उग्र प्रदर्शन के बीच अब सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार भी विवादों में घिर गया है।
सुशीला कार्की
Kathmandu: नेपाल में नई सरकार के गठन को अभी चंद दिन भी नहीं बीते हैं, लेकिन विरोध और आक्रोश की आग पहले ही भड़क चुकी है। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, जो कि जन आंदोलन और ‘हामी नेपाल’ संगठन के समर्थन से सत्ता में आई थीं, अब उन्हीं समर्थकों के निशाने पर आ गई हैं। विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं जन आंदोलन के प्रमुख सुदन गुरुंग, जिनके तेवर अब सीधे तौर पर पीएम कार्की के खिलाफ नजर आ रहे हैं।
रविवार रात राजधानी काठमांडू स्थित बलुवाटार में प्रधानमंत्री आवास के बाहर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसमें शहीद आंदोलनकारियों के परिजन, युवाओं का Gen Z समूह, और 'हामी नेपाल' संगठन के सैकड़ों सदस्य शामिल थे। प्रदर्शनकारियों ने “कार्की हटाओ, जनता बचाओ” और “शहीदों का अपमान नहीं सहेंगे” जैसे नारे लगाए। वहीं सुदन गुरुंग ने मीडिया से बातचीत में दो टूक कहा कि जिसे मैंने प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया, उसे हटाने में मुझे एक पल भी नहीं लगेगा। सरकार को जन आंदोलन की भावना नहीं भूलनी चाहिए।
सरकार आज तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाने जा रही है, लेकिन उसी पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। जिन तीन नामों की चर्चा है, वे ओमप्रकाश अर्याल- गृह और न्याय मंत्रालय, रामेश्वर खनाल- वित्त मंत्रालय और कुलमान घीसिंग- ऊर्जा मंत्रालय हैं। सबसे ज्यादा विवाद ओमप्रकाश अर्याल को लेकर है, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने “जन आंदोलन के साथ धोखा” करार दिया है। आरोप है कि अर्याल पहले आंदोलनकारियों के साथ संवाद कर रहे थे, लेकिन अब सौदेबाजी कर गृहमंत्री की कुर्सी ले ली। बलुवाटार के बाहर न केवल उनके पोस्टर जलाए गए, बल्कि गाड़ियों पर भी जूतों से हमला किया गया।
सुशीला कार्की
‘हामी नेपाल’ संगठन, जो जन आंदोलन की रीढ़ माना जाता है, अब सरकार से कटते नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों के चयन में संगठन की राय नहीं ली गई, और शहीदों के परिजनों की अब तक प्रधानमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी इन दोनों कारणों से सुदन गुरुंग और उनके समर्थक बेहद आहत हैं। सुदन ने कहा कि यह सरकार अब उसी राह पर चल रही है, जो हमने ठुकराई थी। हम अब भी शहीदों की लड़ाई लड़ेंगे, भले ही सत्ता से टकराना पड़े।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि सुदन गुरुंग अपने समर्थकों को पूरी तरह लामबंद कर लेते हैं, तो पीएम कार्की की सरकार अस्थिर हो सकती है। खासकर तब, जब ‘हामी नेपाल’ के पास राजनीतिक दलों और स्वतंत्र विधायकों का नैतिक समर्थन है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही सड़कों पर फिर से जन आंदोलन शुरू हो सकता है। सोशल मीडिया पर #CarckiResign ट्रेंड कर रहा है और हजारों युवा वीडियो व पोस्ट के जरिए अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।