

नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने काठमांडू समेत देशभर में हुई हिंसा और आगजनी की न्यायिक जांच का आदेश दिया है। 72 लोगों की मौत वाले जेनजी प्रदर्शन में मारे गए युवाओं को शहीद का दर्जा और उनके परिवारों को मुआवजा देने का फैसला लिया गया।
एक्शन में नेपाल पीएम सुशीला कार्की
Kathmandu: नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित पूरे देश में 9 सितंबर को जेनजी आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, आगजनी, लूटपाट और हत्या की घटनाओं ने देश को एक गहरे सदमे में डाल दिया है। इस दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को व्यापक स्तर पर नुकसान पहुंचाया गया। मकान, दुकानें, होटलों और फैक्ट्रियों को आग के हवाले कर दिया गया और सैकड़ों वाहन नष्ट कर दिए गए। पुलिस थानों पर भी हमला हुआ और 30 से अधिक थाने तोड़फोड़ का शिकार बने।
अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने सिंहदरबार में अपना कार्यभार संभालते ही इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हिंसा और तोड़फोड़ किसी सामान्य प्रदर्शन की घटना नहीं बल्कि एक सुनियोजित षड़यंत्र है।
सुशीला कार्की ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि जिन तरीकों से संपत्तियों को आग के हवाले किया गया और लोगों के घरों को निशाना बनाया गया, वह युवा प्रदर्शनकारियों का कार्य नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कई ऐसे समूहों की पहचान हो चुकी है, जो इस हिंसा में शामिल थे। उन्होंने इस हिंसा की कड़ी निंदा की और इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं माना।
एक्शन में नेपाल पीएम सुशीला कार्की
8 सितंबर को हुए प्रदर्शन में पुलिस की गोली से मारे गए युवाओं को नेपाल की अंतरिम सरकार ने शहीद का दर्जा देने का निर्णय लिया है। साथ ही उनके परिवारों को दस-दस लाख रुपए मुआवजा देने का ऐलान भी किया गया है। प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने कहा कि यह उनका पहला सरकारी निर्णय था और उन्होंने इसे अपनी पदभार ग्रहण की दिन ही लागू कर दिया।
नेपाल में हुई इस हिंसा और तोड़फोड़ ने भारी तबाही मचाई है। लगभग 700 से 1000 छोटे-बड़े इमारतों को नुकसान पहुंचा है। 30 से अधिक पुलिस थानों को क्षतिग्रस्त किया गया और लगभग 5000 वाहन आग के हवाले हो गए। इंजीनियरों की टीम अब पूरे इलाके का निरीक्षण कर रही है ताकि क्षति का विस्तृत आकलन किया जा सके।
जेनजी आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 72 हो गई है। इसमें 59 प्रदर्शनकारी, 10 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। यह जानकारी मुख्य सचिव एक नारायण आर्यल ने प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यभार ग्रहण समारोह के दौरान दी।