पाकिस्तान की उड़ी नींद: भारत ने तैयार किया DRDO का धांसू ग्लाइड बम, जानें क्यों घबराया पड़ोसी देश?

DRDO ने Su-30MKI फाइटर जेट से स्वदेशी ‘गौरव’ ग्लाइड बम का सफल परीक्षण किया है। यह लंबी दूरी से सटीक प्रहार करने में सक्षम है और दुश्मन के एयर डिफेंस को मात दे सकता है। दो वेरिएंट के साथ विकसित यह हथियार भारत की मारक क्षमता और आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 23 November 2025, 9:48 AM IST
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New Delhi: भारत अपनी रक्षा तकनीक को आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से काम कर रहा है। इसी दिशा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारतीय वायुसेना के Su-30MKI फाइटर जेट से स्वदेशी एयर-लॉन्च्ड लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम ‘गौरव’ का सफल परीक्षण किया गया। यह हथियार दूर से ही लक्ष्य को सटीकता के साथ नष्ट करने की क्षमता रखता है, जो आधुनिक युद्ध में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

‘गौरव’ ग्लाइड बम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह विमान को खतरे से दूर रखते हुए हमला करता है। हवा में छोड़े जाने के बाद यह लंबी दूरी तक ग्लाइड करता है और लक्ष्य के बिल्कुल सटीक बिंदु पर वार करता है। इस क्षमता के कारण यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है। इसका भारी वजन, पैठ क्षमता और उच्च विनाशक शक्ति इसे बंकरों, किलेबंद ठिकानों, कठोर संरचनाओं और पहाड़ी ठिकानों पर बेहद कारगर बनाती है।

दो वेरिएंट में तैयार हुआ ‘गौरव’

DRDO ने ‘गौरव’ हथियार प्रणाली को दो संस्करणों में विकसित किया है:

1. Gaurav-PCB वर्जन

यह संस्करण मजबूत संरचनाओं, बंकरों और किलेबंद ठिकानों को भेदने के लिए तैयार किया गया है। पहाड़ी इलाकों और कठिन ऑपरेशन क्षेत्रों में यह विशेष रूप से उपयोगी साबित होगा।

2. Gaurav-PF वर्जन

यह वर्जन खुले क्षेत्रों, सैन्य ठिकानों और रणनीतिक लक्ष्यों पर प्रभावी प्रहार के लिए बनाया गया है। इसके जरिए लक्ष्य को कई हिस्सों में अधिक नुकसान पहुंचाना संभव है।

इन दोनों वेरिएंट के साथ भारत को ऐसी क्षमता मिल रही है जो पहले केवल कुछ चुनिंदा देशों के पास थी।

Su-30MKI के साथ ‘गौरव’ का जुड़ना

Su-30MKI भारतीय वायुसेना का सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट है। यह पहले से ही Rudram एंटी-रेडिएशन मिसाइल, SAAW हथियार प्रणाली और BrahMos-A जैसे हथियारों से लैस है। ‘गौरव’ के जुड़ने के बाद यह जेट लंबी दूरी से जमीन पर अधिक सटीकता के साथ हमला करने में सक्षम हो गया है।

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यह संयोजन भारत की वायु शक्ति को भविष्य के युद्धों के लिए और मजबूत बनाता है। इससे भारतीय वायुसेना की स्ट्राइक रेंज, सटीकता और ऑपरेशनल क्षमता में गुणात्मक सुधार होगा।

क्यों जरूरी है भारत का आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र?

फाइटर जेट इंजन और उन्नत हथियार प्रणालियों के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भरता भारत के लिए लंबे वक्त से चुनौती रही है। इसी वजह से तेजस Mk2 और AMCA जैसे प्रोजेक्ट में देरी हुई। अब भारत सरकार और DRDO मिलकर स्वदेशी इंजन, मिसाइल, रडार, बम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर तकनीक को विकसित करने पर तेजी से काम कर रहे हैं। इससे आने वाले वर्षों में भारत को पूर्ण रक्षा आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिलेगी।

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एक्सपर्ट्स की राय

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ‘गौरव’ ग्लाइड बम का सफल परीक्षण भारत की बदलती रक्षा रणनीति का प्रतीक है। आधुनिक युद्ध में लंबी दूरी से सटीक प्रहार करने की क्षमता निर्णायक होती है। ‘गौरव’ के आने से भारत न केवल अपनी मारक क्षमता बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी रणनीतिक शक्ति भी मजबूत कर रहा है।

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  • New Delhi

Published : 
  • 23 November 2025, 9:48 AM IST