

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर संभावित रोक को “अच्छा कदम” बताया, परंतु भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपने रणनीतिक हितों से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत की विदेश नीति संतुलन पर आधारित है और उसे एकतरफा दबाव से तय नहीं किया जा सकता।
रूस से तेल खरीद पर ट्रंप की टिप्पणी
New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 को भारत और रूस के बीच चल रहे तेल व्यापार को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, तो यह एक "अच्छा कदम" है। हालांकि, ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि उन्हें इस खबर की पुष्टि नहीं है।
ट्रंप से जब एक संवाददाता ने पूछा कि क्या भारत पर कोई जुर्माना लगाया जाएगा या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई सीधी बातचीत होगी, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैंने सुना है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक अच्छा फैसला है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं। देखते हैं आगे क्या होता है।”
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते मॉस्को की आय को सीमित करने के लिए वैश्विक स्तर पर दबाव बना रहा है। रूस से ऊर्जा खरीद को अमेरिका ने हमेशा भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से नकारात्मक बताया है।
रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है और 2022 से रूस से रियायती दरों पर तेल खरीद रहा है। हालांकि हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि भारत की सरकारी तेल रिफाइनरियों ने लॉजिस्टिक परेशानियों और घटती छूट के कारण रूस से तेल की खरीद को अस्थायी रूप से रोका है। इस पर भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
25% टैरिफ लगाने की घोषणा
इस बीच अमेरिका ने भारत से सभी प्रकार के निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर भारत रूस के साथ ऊर्जा व्यापार जारी रखता है, तो उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। ट्रंप ने पिछले सप्ताह अपनी ट्रुथ सोशल पोस्ट में भारत की आलोचना की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाता है, जबकि वह रूस से सैन्य और ऊर्जा उत्पाद आसानी से खरीदता है।
इस पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “भारत-रूस संबंध समय-परीक्षित और स्थिर हैं। भारत-अमेरिका संबंध भी साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और जन-जन के मजबूत रिश्तों पर आधारित हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत संतुलित विदेश नीति पर विश्वास करता है और अपने रणनीतिक हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।