

चीन ने अमेरिका के 100% टैरिफ खतरे के बीच कहा कि वह डरता नहीं है और व्यापारिक विवादों को बातचीत से हल करने की बात की। दोनों देशों के बीच दुर्लभ धातुओं पर व्यापार विवाद तेज हो गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच किसी भी विवाद को धमकी के बजाय बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।
अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर
Beijing: चीन ने रविवार को साफ किया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 100% टैरिफ के खतरे से डरता नहीं है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा, 'हम टैरिफ युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर जरूरी हुआ तो इसके लिए तैयार हैं।' मंत्रालय ने यह भी कहा कि अमेरिका और चीन के बीच किसी भी विवाद को धमकी के बजाय बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।
यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि 1 नवंबर से चीन से आयातित सामान पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप का यह कदम चीन द्वारा दुर्लभ धातुओं (rare earths) पर नए निर्यात प्रतिबंध लगाने के बाद आया। ये धातुएं उपभोक्ता उत्पादों और सैन्य उपकरणों के लिए बेहद अहम मानी जाती हैं।
टैरिफ और निर्यात प्रतिबंधों को लेकर दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ने से डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संभावित मीटिंग पर भी असर पड़ सकता है। अप्रैल में दोनों देशों के टैरिफ 100% तक पहुँच चुके थे और इसके बाद थोड़ी शांति कायम हुई थी।
100% टैरिफ के बीच चीन का जवाब
दुनिया की लगभग 70% दुर्लभ धातुओं की खान चीन के पास है और 90% प्रोसेसिंग पर उसका नियंत्रण है। इन धातुओं की जरूरत जेट इंजन, राडार सिस्टम, इलेक्ट्रिक व्हीकल और मोबाइल-लैपटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में होती है। चीन की नई नियमावली के तहत विदेशी कंपनियों को इन धातुओं के निर्यात के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी।
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चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि नागरिक उपयोग के लिए एक्सपोर्ट लाइसेंस दिए जाएंगे, जबकि सैन्य उपयोग पर भी निगरानी रखी जाएगी। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि अमेरिका ने हाल ही में कई नए प्रतिबंध लगाए हैं और चीनी चिंताओं को अनदेखा कर रहा है, जैसे कि अमेरिकी पोर्ट शुल्क जो मंगलवार से लागू होंगे। चीन ने जवाब में अमेरिकी जहाजों पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी।
ट्रंप ने चीन के इस कदम को "दुनिया को बंदी बनाने वाला" बताया और कहा कि चीन दुर्लभ धातुओं और मैग्नेट्स पर नियंत्रण रख रहा है। चीन ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह व्यापार युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपनी "वैध हितों की रक्षा" के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
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विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद वैश्विक व्यापार और तकनीकी उत्पादों की सप्लाई चेन पर असर डाल सकता है। दोनों देशों के बीच संवाद और वार्ता के जरिए ही किसी स्थायी समाधान की संभावना बनी रह सकती है।