

क्या अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता तनाव एक नई ट्रेड वॉर की शुरुआत है? 1 नवंबर 2025 से अमेरिका चीन के सामानों पर 100% टैरिफ लगाने जा रहा है। क्या यह कदम दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को और जटिल बना देगा और वैश्विक बाजार को झटका देगा?
अमेरिका-चीन मीटिंग का क्या है सच?
Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी आगामी मीटिंग आधिकारिक तौर पर रद्द नहीं हुई है। दक्षिण कोरिया में तीन सप्ताह बाद होने वाली यह मीटिंग अभी भी शेड्यूल में है। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा, "मैं वहां जरूर जाऊंगा। मुझे लगता है कि हम यह मीटिंग कर सकते हैं।"
हालांकि, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह तय नहीं है कि मीटिंग वास्तव में होगी या नहीं। इससे पहले ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा था कि चीन के आक्रामक कदमों के कारण उन्हें अब मिलने का कोई कारण नहीं दिखता।
चीन ने घोषणा की है कि 1 नवंबर 2025 से रेयर अर्थ मिनरल्स और अन्य महत्वपूर्ण उत्पादों पर बड़े पैमाने पर निर्यात प्रतिबंध लागू करेगा। ये सामग्रियां टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। ट्रंप ने इस कदम पर हैरानी जताते हुए कहा, "उन्होंने दुनिया को चौंका दिया। इंटरनेशनल ट्रेड में ऐसा बिल्कुल नहीं सुना गया।"
ट्रंप ने कहा कि चीन का यह कदम केवल अमेरिका को नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा। अमेरिकी प्रशासन ने जवाब में घोषणा की कि 1 नवंबर 2025 से चीन के सभी आयातों पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लागू होगा। यह मौजूदा टैरिफ के अलावा होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्या कहा
ट्रंप ने यह भी ऐलान किया कि अमेरिका 1 नवंबर से सभी महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर निर्यात नियंत्रण लागू करेगा। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा सिक्योरिटी और अन्य तकनीकी क्षेत्रों के सॉफ्टवेयर शामिल हैं।
जब ट्रंप से पूछा गया कि अगर चीन अपने निर्यात प्रतिबंधों में ढील दे तो क्या अमेरिका एडिशनल टैरिफ हटा देगा, तो उन्होंने कहा, "हमें देखना होगा कि क्या होता है। इसलिए मैंने इन्हें लागू करने की तारीख 1 नवंबर रखी है।"
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर पार्ट-2? ट्रंप ने उठाया बड़ा कदम, चाइनीज सामान पर लगाया भारी टैरिफ
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच यह टकराव वैश्विक बाजारों और अंतरराष्ट्रीय ट्रेड पर असर डाल सकता है। 1 नवंबर से लागू होने वाले टैरिफ और निर्यात नियंत्रण के कारण तकनीकी कंपनियों, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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