

बीजिंग के ऐतिहासिक तियानमेन चौक पर बुधवार (3 अगस्त 2025) को चीन ने अपनी सैन्य ताकत का भव्य प्रदर्शन किया। चीन ने तियानमेन चौक पर सैन्य परेड में पहली बार अपने आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया। रूस, उत्तर कोरिया समेत 26 देशों के नेता मौजूद रहे, जापान ने विरोध जताया।
चीन सैन्य परेड (Img: Google)
Beijing: बीजिंग के ऐतिहासिक तियानमेन चौक पर बुधवार (3 अगस्त 2025) को चीन ने अपनी सैन्य ताकत का भव्य प्रदर्शन किया। इस मौके पर चीन ने पहली बार अपने कई आधुनिक हथियारों को सार्वजनिक रूप से दिखाया, जिनमें अत्याधुनिक जेट फाइटर, मिसाइलें, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम शामिल थे। यह आयोजन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया।
परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन, ईरान, मलेशिया, म्यांमा, मंगोलिया, इंडोनेशिया, जिम्बाब्वे और मध्य एशियाई देशों के प्रमुखों सहित 26 विदेशी नेताओं ने शिरकत की। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नेपाल के प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी इस अवसर पर मौजूद रहे। राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने विदेशी अतिथियों का स्वागत किया।
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन अपनी बेटी किम जू ए के साथ विशेष ट्रेन से बीजिंग पहुंचे। यह 2019 के बाद उनकी दूसरी चीन यात्रा थी। हाल के महीनों में रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते रिश्तों और चीन-उत्तर कोरिया संबंधों में दरार की अफवाहों के बीच यह यात्रा खास मानी जा रही है। बीजिंग में शी, पुतिन और किम की संयुक्त उपस्थिति अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक कड़ा संदेश समझी जा रही है।
किम जोंग (Img: Google)
परेड को लेकर जापान ने विश्व नेताओं से इसमें भाग न लेने की अपील की थी। जापान का तर्क था कि इस तरह का आयोजन क्षेत्रीय तनाव बढ़ा सकता है। हालांकि चीन ने जापान के विरोध को नकारते हुए इस आयोजन को अपनी वैश्विक स्थिति और सैन्य क्षमता दिखाने का अहम अवसर बताया। बीजिंग ने कहा कि यह परेड चीन की ऐतिहासिक जीत और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है।
परेड में चीन ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के कई आधुनिक हथियार दिखाए। इनमें शामिल थे:
इन हथियारों को दिखाकर चीन ने यह संकेत दिया कि उसकी सैन्य क्षमताएं अब अमेरिकी हथियारों की बराबरी कर सकती हैं।
इस सैन्य प्रदर्शन को चीन के लिए अपनी शक्ति का वैश्विक संदेश देने की रणनीति माना जा रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि परेड के जरिए चीन ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता दिखाई, बल्कि यह भी जताया कि वह रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों के साथ मिलकर अमेरिका के प्रभाव को चुनौती देने की स्थिति में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह परेड सिर्फ घरेलू गौरव का मामला नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति संतुलन के नए समीकरण की ओर इशारा करती है।