

चीन ने पाकिस्तान को आठ हंगोर क्लास की उन्नत पनडुब्बियों की आपूर्ति के अपने वादे के तहत तीसरी पनडुब्बी सौंप दी है। यह कदम न केवल इस्लामाबाद की नौसैनिक ताकत को मजबूत करने वाला है, बल्कि हिंद महासागर में पाकिस्तान की उपस्थिति को और अधिक आक्रामक बनाने की रणनीति का हिस्सा भी माना जा रहा है।
चीन ने पाकिस्तान को सौंपी हंगोर पनडुब्बी
New Delhi: चीन ने गुरुवार 15 अगस्त 2025 को पाकिस्तान को तीसरी हंगोर श्रेणी की पनडुब्बी सौंप दी। इसका जलावतरण समारोह हुबेई प्रांत के वुहान शहर में आयोजित किया गया। चीनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, यह पनडुब्बी पाकिस्तान की नौसेना के लिए एक सामरिक संपत्ति साबित होगी। इस अवसर पर पाकिस्तान नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल अब्दुल समद भी मौजूद थे। उन्होंने इस पनडुब्बी को क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन के लिए एक अहम संसाधन बताया और कहा कि यह तकनीकी रूप से अत्याधुनिक है।
मार्च 2025 में मिली थी दूसरी पनडुब्बी
यह पनडुब्बी उस श्रृंखला की तीसरी कड़ी है जिसमें चीन कुल आठ हंगोर क्लास पनडुब्बियां पाकिस्तान को सौंपने जा रहा है। इससे पहले, इस श्रृंखला की दूसरी पनडुब्बी पाकिस्तान को मार्च 2025 में सौंपी गई थी। इन पनडुब्बियों के अलावा, पिछले कुछ वर्षों में चीन ने चार आधुनिक नौसैनिक युद्धपोत भी पाकिस्तान को दिए हैं, जो अरब सागर और हिंद महासागर में पाकिस्तानी नौसेना की आक्रामकता को बढ़ाने में सहायक रहे हैं।
‘स्टील्थ’ से लेकर सेंसर तक ताकतवर
हंगोर श्रेणी की पनडुब्बियों को पानी के नीचे लड़ाई के लिए बेहद सक्षम माना जाता है। इसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं।
• उन्नत सेंसर प्रणाली, जो लक्ष्य को अधिक दूरी से पहचान सकती है
• स्टील्थ तकनीक, जिससे यह दुश्मन की पकड़ में नहीं आती
• उच्च गतिशीलता और लंबे समय तक जल के नीचे संचालन की क्षमता
• घातक मारक क्षमता, जिससे यह दुश्मन को चुपचाप निशाना बना सकती है
चीनी सैन्य विशेषज्ञ झांग जुनशे के अनुसार, यह पनडुब्बी भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है क्योंकि इसकी निगरानी या ट्रैकिंग बेहद मुश्किल है।
पाकिस्तान की 81% रक्षा चीन से आपूर्ति
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पाकिस्तान के 81 प्रतिशत से ज्यादा सैन्य उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है।
हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने चीन से 600+ VT-4 युद्धक टैंक, 36 J-10CE लड़ाकू विमान और पहला जासूसी जहाज (रिजवान) और अब 8 हंगोर क्लास पनडुब्बियां प्राप्त की हैं। 2022 में पाकिस्तान ने चीन से J-10CE बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान की पहली खेप भी प्राप्त की थी, जिनका कथित तौर पर भारत के साथ हालिया संघर्ष में उपयोग किया गया।
भारत के लिए बढ़ती चुनौती
चीन द्वारा पाकिस्तान को इस तरह के रणनीतिक सैन्य उपकरण देना भारत के लिए सीधी सुरक्षा चुनौती है।
• हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन और पाकिस्तान की संयुक्त नौसैनिक उपस्थिति अब पहले से कहीं अधिक आक्रामक हो चुकी है।
• भारत को अपने सतह-से-जलीय और अंडरवाटर रक्षा प्रणालियों को और अधिक उन्नत करना होगा।
• यह घटनाक्रम QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत) जैसे गठबंधनों के लिए भी नई रणनीतिक योजनाएं बनाने को प्रेरित करेगा।
चीन-पाकिस्तान सैन्य साझेदारी का उद्देश्य क्या है?
चीन और पाकिस्तान के बीच यह सैन्य सहयोग सिर्फ रक्षा सौदों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक और रणनीतिक उद्देश्य भी है। भारत को क्षेत्रीय स्तर पर संतुलित करना, हिंद महासागर में व्यापारिक मार्गों और सैन्य गलियारों की निगरानी, CPEC (चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) के समुद्री हिस्से की सुरक्षा और अमेरिका-भारत के बढ़ते संबंधों का प्रतिक्रिया स्वरूप तैयार करना है।