

ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में सोशल मीडिया कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए आपत्तिजनक कंटेंट के लिए जिम्मेदार ठहराने का रास्ता साफ कर दिया है।
ब्राजील सुप्रीम कोर्ट फैसला (सोर्स-इंटरनेट)
नई दिल्ली: ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टेक जगत के लिए एक बेहद अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियां अब उनके प्लेटफॉर्म पर डाले गए अवैध कंटेंट की जिम्मेदारी से नहीं बच सकतीं। इस फैसले के अनुसार, अगर कोई यूजर हेट स्पीच, नस्लवाद या हिंसा भड़काने वाली सामग्री पोस्ट करता है और पीड़ित द्वारा शिकायत के बावजूद कंपनी समय पर उसे नहीं हटाती, तो कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव होगी।
कोर्ट का बहुमत से ऐतिहासिक निर्णय
इस ऐतिहासिक निर्णय को सुप्रीम कोर्ट के 8 जजों ने समर्थन और 3 ने विरोध में वोट दिया। यह फैसला कुछ ही हफ्तों में औपचारिक रूप से लागू कर दिया जाएगा। यह उन दो मामलों पर आधारित था जिनमें सोशल मीडिया कंपनियों पर डरावने और अवैध कंटेंट को नजरअंदाज करने के गंभीर आरोप लगे थे।
कंटेंट हटाने की जिम्मेदारी अब कंपनियों की
अब तक ब्राजील में यह नियम था कि सोशल मीडिया कंपनियां केवल अदालत के आदेश के बाद ही किसी पोस्ट को हटाने की बाध्य होती थीं। लेकिन नई व्यवस्था के तहत उन्हें खुद सक्रिय होकर हेट स्पीच, फेक न्यूज़, नस्लभेदी भाषा और बच्चों से संबंधित आपत्तिजनक सामग्री को पहचानकर हटाना होगा।
सोशल मीडिया कंटेंट पर ब्राजील सुप्रीम कोर्ट का फैसला (सोर्स-इंटरनेट)
हर मामला अलग से तय होगा
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि "अवैध कंटेंट" की परिभाषा तयशुदा नहीं है। इसे हर केस की परिस्थितियों के अनुसार परखा जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि न्यायिक प्रक्रिया लचीली और निष्पक्ष बनी रहे।
कंपनियों के पास बचाव का विकल्प
फैसले में यह भी कहा गया है कि अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी यह प्रमाणित कर देती है कि उसने समय पर जरूरी कार्रवाई की, तो उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। इस शर्त के तहत कंपनियों को अब अपनी कंटेंट मॉनिटरिंग नीतियों को और अधिक सक्रिय व पारदर्शी बनाना होगा।
अमेरिका ने जताई चिंता
इस फैसले पर अमेरिका की प्रतिक्रिया तीखी रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चेतावनी दी है कि अगर इस फैसले से अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा हुआ, तो ब्राजील के अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। यह बयान इस बात का संकेत है कि फैसला अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी असर डाल सकता है।