

सिगरेट की एक छोटी सी डिब्बी, जो देखने में मामूली लगती है, असल में करोड़ों लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ती है। पढे़ं डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
प्रतीकात्मक छवि (फाटो सोर्स- इंटरनेट)
नई दिल्ली: सिगरेट की एक छोटी सी डिब्बी, जो देखने में मामूली लगती है, असल में करोड़ों लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ती है। हर साल लाखों लोग इसे छोड़ने की कोशिश करते हैं, कसम खाते हैं कि 'अब नहीं', लेकिन कुछ ही दिनों में फिर उसी धुएं की गिरफ्त में लौट आते हैं। सवाल ये है कि आखिर सिगरेट छोड़ना इतना मुश्किल क्यों है? क्या लोगों में इच्छाशक्ति की कमी है या इसके पीछे कोई और वजह छिपी है?
असल में, इसका जवाब हमारे दिमाग के भीतर छिपा है। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि सिगरेट की लत केवल एक आदत नहीं, बल्कि एक गहरी न्यूरोलॉजिकल (Neurological) प्रक्रिया है, जिसमें हमारा मस्तिष्क और उसका केमिकल संतुलन शामिल होता है।
सिगरेट में मौजूद मुख्य रसायन निकोटिन है, जो लत का सबसे बड़ा कारण बनता है। जैसे ही कोई व्यक्ति सिगरेट का कश लेता है, निकोटिन महज 10 सेकंड के अंदर दिमाग तक पहुंच जाता है। वहां पहुंचकर यह डोपामाइन नामक केमिकल को रिलीज कराता है। डोपामाइन वही केमिकल है जो हमें खुशी, संतोष और आराम का एहसास कराता है। यही कारण है कि लोग इसे छोड़ नहीं पाते हैं।
सिगरेट पीना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक धीमा ज़हर है जो शरीर को अंदर से खोखला कर देता है। हर साल दुनियाभर में लाखों लोग तंबाकू और सिगरेट से जुड़ी बीमारियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। फिर भी लोग इसे छोड़ नहीं पाते। इसकी वजह सिर्फ इच्छाशक्ति की कमी नहीं, बल्कि निकोटिन की लत है, जो दिमाग और शरीर को बुरी तरह जकड़ लेती है। आइए जानते हैं कि सिगरेट से शरीर को कितने बड़े नुकसान होते हैं और इस आदत को छोड़ने के कुछ प्रभावी उपाय क्या हैं।
फेफड़ों का खराब होना: सिगरेट का धुआं सीधे फेफड़ों पर असर डालता है। इससे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, इम्फाइसेमा और फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
प्रतीकात्मक छवि (फाटो सोर्स- इंटरनेट)
दिल की बीमारियाँ: सिगरेट धमनियों को सख्त और संकुचित कर देती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों में सिगरेट प्रमुख कारण है।
कैंसर का खतरा: सिगरेट में मौजूद हानिकारक रसायन जैसे टार, बेंज़ीन और फॉर्मल्डिहाइड शरीर के अलग-अलग अंगों में कैंसर पैदा कर सकते हैं। मुंह, गले, फेफड़े, किडनी और ब्लैडर कैंसर से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
त्वचा और दांतों का खराब होना: धूम्रपान से चेहरे पर झुर्रियां जल्दी पड़ती हैं, दांत पीले हो जाते हैं और सांस से दुर्गंध आती है।
निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT): इसमें निकोटिन गम, पैच, इनहेलर या लोजेंज का इस्तेमाल कर धीरे-धीरे निकोटिन की मात्रा कम की जाती है, जिससे शरीर को झटका नहीं लगता और लत धीरे-धीरे खत्म होती है। कई बार सिगरेट की लत भावनात्मक समस्याओं से जुड़ी होती है। काउंसलिंग से तनाव और भावनात्मक कारणों की पहचान कर उन्हें दूर किया जा सकता है।
मेडिटेशन और व्यायाम: नियमित ध्यान, योग और व्यायाम से मानसिक संतुलन बना रहता है और निकोटिन की तलब कम होती है।
परिवार और दोस्तों का समर्थन: अपनों का सहयोग और समझ इस लड़ाई को आसान बना सकता है। जब लोग आपके साथ खड़े हों, तो बदलाव लाना आसान हो जाता है।
सिगरेट भले ही कुछ पलों की राहत देती हो, लेकिन इसके पीछे छिपा नुकसान उम्रभर पछतावा बन सकता है। इससे होने वाली बीमारियां न सिर्फ जानलेवा हैं, बल्कि आपकी जीवनशैली और खुशियों को भी निगल जाती हैं। अच्छी बात ये है कि इस लत से छुटकारा पाना संभव है- सही जानकारी, उपाय और समर्थन के साथ। याद रखें, सिगरेट छोड़ना जिंदगी को वापस पाने जैसा है- और ये फैसला आज ही लिया जा सकता है।