

आज दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ती जा रही हैं और ये ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ के रूप में उभर रही हैं। हार्ट अटैक और स्ट्रोक से होने वाली मौतें अब सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि हर परिवार की चिंता बन चुकी हैं। नए शोध में एक अनोखी तकनीक सामने आई है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से आंखों की जांच करके अगले 10 सालों में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा पहले ही पता लगाया जा सकता है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स-गूगल)
New Delhi: आज के युग में हृदय रोगों का बढ़ता ग्राफ चिंता का विषय है। हार्ट अटैक और स्ट्रोक की घटनाएं हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही हैं। खराब खान-पान, तनाव, गतिहीन जीवनशैली और आनुवांशिकी इसके मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञ लगातार लोगों को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जीवनशैली में सुधार नहीं किया गया तो हृदय रोगों का खतरा और बढ़ेगा।
हार्ट अटैक का खतरा
दिल से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच जरूरी है। परन्तु कई बार हार्ट अटैक का खतरा बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी हो सकता है। इसलिए अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जांच विकसित की है जो हृदय की समस्याओं का पता लगाने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से पता चलेगा खतरा
हाल ही में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एक सामान्य आंखों की जांच से ही यह जाना जा सकता है कि आने वाले दस वर्षों में किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा है या नहीं। यह जांच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित है जो डिजिटल रेटिना फोटोग्राफ्स का विश्लेषण करती है।
कैसे काम करता है यह AI आधारित आंख टेस्ट?
इस टेस्ट में आंख के पीछे की रक्त वाहिकाओं को डिजिटल रूप से स्कैन किया जाता है। अगर रक्त वाहिकाएं सिकुड़ी हुई या क्षतिग्रस्त हैं, तो इसका मतलब है कि रक्त प्रवाह में बाधा आ रही है, जो हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकती है। AI तकनीक इन तस्वीरों को सेकंडों में स्कैन कर जोखिम का अनुमान लगाती है।
विशेषज्ञों की राय और शोध के नतीजे
स्कॉटलैंड के डॉन्डी यूनिवर्सिटी के हृदय विशेषज्ञ डॉ. इफी मोर्डी के अनुसार, आंखें वास्तव में हृदय स्वास्थ्य की खिड़की हैं। इस AI टेस्ट की सटीकता लगभग 70% पाई गई है, जो यह बताती है कि यह तकनीक काफी प्रभावी है। यह जांच सिर्फ डायबिटीज के मरीजों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए फायदेमंद है।
दिल की बीमारियों की रोकथाम में नया आयाम
यह AI आधारित आंख टेस्ट रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की जांच के साथ मिलकर हृदय रोगों के शुरुआती संकेतों का पता लगाने में मदद कर सकता है। समय रहते जोखिम का पता चलने से जीवनशैली में सुधार, दवाओं का सेवन और नियमित चिकित्सा देखरेख संभव हो पाती है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाव कर सकती है।