Cannes 2025: कान फिल्म फेस्टिवल में असम की मां-बेटी की जोड़ी ने बिखेरा जलवा,अनूठी मिसाल बनीं उर्मिमाला और स्निग्धा बरुआ

दुनियाभर के फिल्मी सितारे अपने फैशन और ग्लैमर से रेड कार्पेट पर धूम मचा रहे हैं, वहीं एक अनोखी जोड़ी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में जानिए कौन है वो अनोखी जोड़ी

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 24 May 2025, 3:29 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में से एक कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 इस समय सुर्खियों में है। जहां दुनियाभर के फिल्मी सितारे अपने फैशन और ग्लैमर से रेड कार्पेट पर धूम मचा रहे हैं, वहीं एक अनोखी जोड़ी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह जोड़ी किसी बॉलीवुड या हॉलीवुड सेलिब्रिटी की नहीं, बल्कि भारत के असम राज्य के एक छोटे से गांव की मां और बेटी की है।

असम की धरती से कान्स तक का सफर

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह प्रेरणादायक जोड़ी है उर्मिमाला बरुआ और उनकी बेटी स्निग्धा बरुआ। दोनों मूल रूप से असम की हैं और उद्यमिता की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी हैं। उर्मिमाला बरुआ एक सफल उद्यमी हैं, जिन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को केंद्र में रखकर अपने कारोबार की नींव रखी। उनकी बेटी स्निग्धा बरुआ न सिर्फ अपनी कंपनी की सह-संस्थापक हैं, बल्कि अपनी मां के सपनों को साकार करने में एक मजबूत कड़ी भी हैं।

Urmimala and Snigdha Barua (Source-Internet)

उर्मिमाला और स्निग्धा बरुआ (सोर्स-इंटरनेट)

जब यह मां-बेटी की जोड़ी कान्स के रेड कार्पेट पर उतरी, तो उनके पहनावे ने सभी को आकर्षित किया। वजह सिर्फ उनकी खूबसूरती या आत्मविश्वास नहीं था, बल्कि वो सांस्कृतिक संदेश था जो उन्होंने अपनी वेशभूषा के जरिए पूरी दुनिया को दिया।

पोशाक के जरिए पेश की असम की सांस्कृतिक झलक

उर्मिमाला बरुआ की पोशाक की प्रेरणा भारत में प्रतिष्ठित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बरगद के पेड़ से ली गई थी। बरगद को भारतीय संस्कृति में जड़ों, ताकत और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। उनकी पोशाक न सिर्फ उनकी जड़ों से जुड़ाव को दर्शाती थी, बल्कि ये भी दिखाती थी कि कैसे एक महिला परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़ सकती है।

दूसरी ओर, स्निग्धा बरुआ की पोशाक की प्रेरणा बांस के पेड़ से ली गई थी। असम की संस्कृति में बांस का खास स्थान है। यह वहां के जीवन, निर्माण और कला का अभिन्न अंग है। स्निग्धा की पोशाक बांस के पंख जैसी संरचना में डिजाइन की गई थी, जो न सिर्फ अनूठी थी बल्कि असम की पारंपरिक शिल्पकला को भी मंच पर लेकर आई।

महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी ये जोड़ी

उर्मिमाला और स्निग्धा की ये मौजूदगी सिर्फ एक फैशन शो नहीं थी, बल्कि ये एक सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश था। उन्होंने साबित कर दिया कि महिलाएं अपने पारंपरिक मूल्यों के साथ वैश्विक मंचों पर आत्मविश्वास के साथ खड़ी हो सकती हैं। गांव से वैश्विक मंच तक का उनका सफर लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा है।

Location : 

Published : 

No related posts found.