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रणनीतिकार से जननेता बने प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार में बदलाव की हुंकार भरी है। मुजफ्फरपुर के सकरा में आयोजित जनसभा में उन्होंने साफ कहा कि “जन सुराज का उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि जनता की भागीदारी से सच्चा लोकतंत्र कायम करना है।” युवाओं, महिलाओं, किसानों और बच्चों के लिए अलग-अलग योजनाओं का ऐलान कर PK उर्फ प्रशांत किशोर ने विकास आधारित राजनीति का एजेंडा सामने रखा।
प्रशांत किशोर की बदलाव सभा
Bihar: देशभर में चुनावी रणनीति के मास्टरमाइंड के तौर पर पहचाने जाने वाले प्रशांत किशोर (PK) ने अब बिहार की राजनीति में जनता की भागीदारी पर आधारित एक नया मॉडल खड़ा करने की कोशिश तेज कर दी है। मंगलवार को मुजफ्फरपुर जिले के सकरा विधानसभा क्षेत्र स्थित श्री बलिराम उच्च विद्यालय में आयोजित ‘बिहार बदलाव सभा’ में प्रशांत किशोर ने हजारों की संख्या में जुटे लोगों को संबोधित किया और बड़ा राजनीतिक संदेश दिया।
"फैसले नेता नहीं, गांव की जनता करेगी"
PK ने अपने संबोधन में दो टूक कहा, “जन सुराज का उद्देश्य सत्ता हासिल करना नहीं है, बल्कि राजनीति का आधार बदलना है। अब फैसले पटना या दिल्ली के नेता नहीं, गांव की जनता करेगी।”
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युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए विकास रोडमैप
सभा में प्रशांत किशोर ने बिहार की समस्याओं पर खुलकर बात की और समाधान के लिए चार प्रमुख वर्गों को संबोधित करते हुए योजनाएं बताई।
युवाओं के लिए
महिलाओं के लिए
बच्चों के लिए
किसानों के लिए
“सरकारें बदलीं, लेकिन हालात नहीं”
PK ने कहा, “पिछले 30 वर्षों में बिहार ने कई सरकारें देखीं, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और खेती जैसे बुनियादी मुद्दे अब भी जस के तस हैं। अब वक्त है कि जनता खुद आगे आए और राजनीति को जाति-धर्म से निकाल कर विकास के रास्ते पर ले जाए।”
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सभा में गूंजा बदलाव का नारा
इस परिवर्तनकारी संदेश के साथ मंच पर जिले और प्रदेश के कई नेता मौजूद रहे। जिलाध्यक्ष मनोज राय, वीरेंद्र राय, प्रेम कुमार सिंह, रेणु पासवान, प्रवीण कुमार और कृष्ण कुमार राम जैसे नेता मंच की शोभा बढ़ा रहे थे। सभा में गांव-गांव से आए लोग घंटों तक डटे रहे, जिससे यह साफ हुआ कि PK का जन सुराज अभियान जमीन पर असर पैदा कर रहा है।
बिहार से उठी नई राजनीति की लहर?
प्रशांत किशोर पहले बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल आप और वाईएसआर कांग्रेस जैसी पार्टियों के चुनावी ब्रेन रह चुके हैं। अब वे सीधे जनता से जुड़कर राजनीति के केंद्र में बदलाव लाने की कोशिश में हैं। उनका यह नारा “जनता तय करेगी, नेता नहीं” भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा नैरेटिव शिफ्ट माना जा रहा है।