

तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव 2025 से पहले संविदा कर्मियों और जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी देने का बड़ा वादा किया है। इसके अलावा महिलाओं के लिए ब्याज मुक्त लोन और कल्याण योजनाओं का भी ऐलान किया। क्या यह रणनीति तेजस्वी को चुनाव में मजबूत आधार दे सकती है।
राजद के नेता तेजस्वी यादव
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के सामने आते ही राजद के नेता तेजस्वी यादव ने चुनावी रण में एक बड़ा दांव खेलते हुए अपने वादों की झड़ी लगा दी है। पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने साफ शब्दों में कहा कि यदि महागठबंधन की सरकार सत्ता में आती है तो संविदा कर्मियों और खासकर जीविका समूह की दीदियों की नौकरी स्थायी कर दी जाएगी। साथ ही उन्होंने सरकारी नौकरियों और महिलाओं के लिए कई योजनाओं का ऐलान कर बिहार की जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है।
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा कि जीविका दीदियों को कई वर्षों से शोषण झेलना पड़ रहा है। इन्हें हमेशा अस्थायी नौकरी और कम वेतन पर रखा गया है। उन्होंने वादा किया कि महागठबंधन सरकार बनने पर जीविका दीदियों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा और उनका वेतन मासिक 30,000 रुपये किया जाएगा। यह घोषणा बिहार के ग्रामीण और महिलाओं के लिए एक बड़ा तोहफा साबित हो सकती है, क्योंकि जीविका दीदियां ग्रामीण महिलाओं के विकास का अहम हिस्सा हैं।
Bihar Election 2025: बिहार चुनाव को लेकर हलचल तेज, NDA की सीट शेयरिंग पर घमासान जारी
तेजस्वी यादव ने संविदा कर्मियों की समस्या पर भी खास ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि संविदा कर्मियों को नौकरी सुरक्षा (Job Security) और वेतन सुरक्षा (Salary Security) दी जाएगी। बिहार में लाखों संविदा कर्मी विभागों और एजेंसियों में काम करते हैं, जिन्हें स्थायी नौकरी का इंतजार रहता है। तेजस्वी ने आश्वासन दिया कि इन सभी संविदा कर्मियों को सरकारी सेवा में स्थायी कर दिया जाएगा। यह वादा संविदा कर्मियों के बीच खासा लोकप्रिय हो सकता है, जो चुनाव में तेजस्वी यादव के लिए बड़ा वोट बैंक तैयार कर सकता है।
तेजस्वी यादव ने जीविका दीदियों को दो वर्ष तक ब्याज मुक्त लोन देने का भी वादा किया है, जो उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूत बनाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बेटी (BETI) योजना और मां (MAA) योजना के तहत महिलाओं को मकान, अन्न और आमदनी के वादे किए। यह पहल बिहार के महिलाओं के लिए राहत की खबर हो सकती है और महिला वोटरों को महागठबंधन की तरफ आकर्षित कर सकती है।
तेजस्वी यादव का बड़ा चुनावी वादा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने डबल इंजन की सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार योजनाओं की नकल करती है लेकिन उन्हें लागू करने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार संविदा कर्मियों के वेतन से जीएसटी काटती है और एजेंसियां कमीशनखोरी करती हैं। इसके विपरीत, तेजस्वी ने कहा कि वे जो वादे करते हैं, उन्हें पूरा करते हैं, और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भी कई नौकरियां दी हैं।
तेजस्वी यादव के इस चुनावी वादे से उन्हें संविदा कर्मियों, जीविका दीदियों, महिलाओं और ग्रामीण वर्ग का भारी समर्थन मिलने की उम्मीद है। संविदा कर्मियों को स्थायी नौकरी देने का वादा उन्हें एक बड़ा वोट बैंक तैयार करने में मदद करेगा क्योंकि संविदा कर्मी अपनी नौकरी की अनिश्चितता को लेकर लंबे समय से परेशान हैं।
जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी और वेतन बढ़ाने का प्रस्ताव भी ग्रामीण महिला वोटरों के बीच लोकप्रिय होगा, जो बिहार की चुनावी राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, महिलाओं के लिए विभिन्न कल्याण योजनाओं की घोषणा से भी महिला वोटरों को महागठबंधन के प्रति आकर्षित करने की कोशिश की गई है।
बिहार की राजनीति में वादे हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहे हैं, लेकिन तेजस्वी यादव ने अपनी छवि एक ऐसा नेता बनाने की कोशिश की है जो वादों को पूरा करता है। पिछली बार उपमुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कई रोजगार योजनाएं शुरू की थीं, जिनके कारण वे युवाओं के बीच लोकप्रिय हुए।
संविदा कर्मियों और जीविका दीदियों जैसे समूहों को स्थायी नौकरी देने का वादा यदि पूरा किया गया तो यह महागठबंधन के लिए चुनावी सफलता की कुंजी बन सकता है। इसके अलावा महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने वाली योजनाएं भी वोटरों को जोड़ने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि, यह भी देखना होगा कि जनता इन वादों को कितना सच मानती है और सरकार बनने पर इन्हें लागू करने में कितनी पारदर्शिता दिखाई जाती है।