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गोरखपुर के बांसगांव में चिकित्सकीय लापरवाही से महिला मरीज की मौत हो गई। ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत के बावजूद डॉक्टर ने उचित इलाज नहीं किया। घटना के विरोध में ग्रामीणों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया और सख्त कार्रवाई की मांग की।
गोरखपुर में चिकित्सकीय लापरवाही
Gorakhpur: गोरखपुर जनपद के बांसगांव थाना क्षेत्र के माल्हनपार कस्बा में चिकित्सकीय लापरवाही का एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां एक महिला मरीज की सर्जरी के बाद हालत बिगड़ने पर समय पर उचित इलाज न मिलने से मौत हो गई। स्थानीय निवासी मदनेश्वर चंद ने बताया कि उनकी पत्नी गीता देवी (45 वर्ष) को ह्यूमरस हड्डी (ऊपरी बांह) में गंभीर समस्या थी। 22 अक्टूबर 2025 को सुबह करीब 11 बजे वह पत्नी को डॉ. गणेश चौरसिया के क्लीनिक लेकर गए। डॉक्टर ने जांच के बाद ऑपरेशन की सलाह दी और खर्च 60,000 से 1 लाख रुपये बताया।
25 अक्टूबर को जब गीता देवी की स्थिति नाजुक हो गई, तब डॉक्टर ने बिना परिवार को पूरी जानकारी दिए मरीज को आनंद लोक अस्पताल, गोरखपुर रेफर कर दिया। परिवार से अतिरिक्त 18,000 रुपये की मांग भी की गई। वहां भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों ने मरीज को तत्काल लखनऊ रेफर कर दिया। लेकिन लखनऊ पहुंचते-पहुंचते 26 अक्टूबर की सुबह करीब 6:43 बजे गीता देवी की मौत हो गई। पति मदनेश्वर चंद का आरोप है कि पहले ऑपरेशन में भारी लापरवाही हुई थी। लखनऊ के डॉक्टरों ने जांच में बताया कि हड्डी सही ढंग से सेट नहीं की गई थी, घाव में इंफेक्शन फैल गया था और जरूरी जांचें नहीं की गईं।
घटना की जानकारी जैसे ही ग्रामीणों को हुई, मंगलवार (28 अक्टूबर 2025) की देर शाम ग्रामीणों ने माल्हनपार मार्ग जाम कर जोरदार प्रदर्शन किया। गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और क्लीनिक सील करने की मांग की। करीब दो घंटे तक जाम लगा रहा, जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। सूचना मिलने पर सीओ बांसगांव और थानाध्यक्ष पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को शांत कराया। अधिकारियों ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद शाम 6 बजे जाम समाप्त हुआ।
यह मामला निजी क्लीनिकों में बढ़ती लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों का कहना है कि बिना पर्याप्त सुविधाओं के ऐसे क्लीनिक बड़े ऑपरेशन कर रहे हैं, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है। स्थानीय लोगों ने कहा, “डॉक्टरों की लापरवाही गरीब परिवारों के लिए मौत का कारण बन रही है। अगर समय पर इलाज या रेफरल किया जाता, तो गीता देवी आज जिंदा होतीं।”
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विशेषज्ञों का कहना है कि सर्जरी से पहले मरीज की पूरी जांच और जोखिम मूल्यांकन जरूरी होता है। ऑपरेशन के बाद संक्रमण नियंत्रण, ड्रेसिंग और निगरानी में लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। स्वास्थ्य कानूनों के अनुसार, किसी भी निजी चिकित्सक को ऑपरेशन करने से पहले मरीज या परिजनों की लिखित सहमति और पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। गोरखपुर के वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. अनिल श्रीवास्तव कहते हैं कि पोस्ट-ऑपरेटिव निगरानी और संक्रमण नियंत्रण किसी भी सर्जरी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। अगर इस चरण में लापरवाही हो जाए, तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है।