अल-फलाह यूनिवर्सिटी में हवाला फंडिंग का बड़ा खुलासा: डायरी में 30 नाम और लाखों की फंडिंग, सफेदपोश मॉड्यूल पर जांच तेज

अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े कथित सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल की जांच में हवाला नेटवर्क का कनेक्शन सामने आया है। डॉक्टरों के खातों, डायरी में दर्ज नामों और जमीन कब्जे के आरोपों ने मामला और गंभीर बना दिया है। जांच एजेंसियां पड़ताल कर रही हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 15 November 2025, 5:16 PM IST
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Faridabad: फरीदाबाद के धौज स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से शुरू हुए कथित सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल को लेकर जांच एजेंसियों की कार्रवाई लगातार तेज होती जा रही है। अब खुफिया विभाग ने बड़ा खुलासा किया है कि इस मॉड्यूल को फंडिंग हवाला नेटवर्क के माध्यम से पहुंचाई जा रही थी। यूनिवर्सिटी से पकड़े गए डॉक्टरों के खाते और उनकी गतिविधियों की गहन जांच शुरू कर दी गई है।

हवाला से फंडिंग का शक गहराया

सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों के बैंक खातों में पिछले कुछ महीनों में हुई ट्रांजेक्शन जांच के दायरे में हैं। एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में सक्रिय एक बड़े हवाला नेटवर्क के जरिए यह रकम पहुंचती थी। हालांकि, डॉक्टर मुज्जमिल, डॉक्टर उमर और डॉक्टर शाहीन सीधे इस नेटवर्क से जुड़े नहीं थे। वे मेवात के एक एजेंट के माध्यम से हवाला चैनल के संपर्क में आए थे।

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सबसे पहले एजेंट के संपर्क में आए थे डॉक्टर शाहीन

जांच में पता चला है कि तीनों डॉक्टरों में सबसे पहले संपर्क एजेंट ने डॉ. शाहीन से किया। इसके बाद उसने डॉ. मुज्जमिल तक पहुंच बनाई और कुछ ही समय पहले डॉ. उमर से भी संपर्क स्थापित किया। एजेंट ही हवाला से आने वाली रकम इन डॉक्टरों तक पहुंचाता था। जांच अधिकारी का कहना है कि ये रकम आतंकियों के लिए बेहद अहम थी और इसका उपयोग कई संवेदनशील गतिविधियों में किया जाता था।

टेरर फंडिंग का इस्तेमाल

खुफिया विभाग ने बताया कि आतंकियों द्वारा फंडिंग का उपयोग कई स्तरों पर किया जाता है। अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक पदार्थ खरीदने में, घटनाओं में इस्तेमाल होने वाली कार व अन्य वाहन खरीदने में, बार-बार रेकी करने के खर्च में और अन्य लॉजिस्टिक और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने में अधिकारी ने स्पष्ट किया कि टेरर मॉड्यूल के लिए ऐसी फंडिंग बेहद महत्वपूर्ण होती है और बिना इसके संचालन मुश्किल है।

डायरी में मिले 30 से अधिक नाम और नंबर

जांच के दौरान एजेंसियों ने डॉ. मुज्जमिल के कमरे से एक डायरी बरामद की। इस डायरी में 30 से अधिक नाम, मोबाइल नंबर और कई नामों के आगे लिखी रकम भी पाई गई। जांच टीम मोबाइल नंबरों के आधार पर पता लगा रही है कि ये लोग कौन हैं, कहाँ सक्रिय हैं और क्या इन्हें भी इसी मॉड्यूल से फंडिंग दी गई है। सूत्रों के अनुसार, कई नामों के आगे दर्ज रकम बेहद संदेह पैदा कर रही है कि यह सीधे टेरर फंडिंग से जुड़ी हो सकती है।

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अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर प्रशासन ने कसा शिकंजा

मामला गंभीर होते देख जिला प्रशासन ने भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। शुक्रवार को पटवारियों की टीम ने यूनिवर्सिटी पहुंचकर जमीन की पैमाइश की। शक है कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने गांव की कुछ सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। पटवारी टीम कई घंटों तक यूनिवर्सिटी में रही और पैमाइश के दौरान दस्तावेजों का मिलान किया। रिपोर्ट अभी अधिकारियों को सौंपी जानी है।

गांव की पंचायत ने लगाया जमीन कब्जाने का आरोप

धौज गांव की पंचायत पहले ही यूनिवर्सिटी पर 22 मीटर चौड़ी सड़क की लगभग एक किलोमीटर लंबी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा चुकी है। पंचायत ने छह महीने पहले अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया है कि यूनिवर्सिटी ने पूर्व सरपंचों की मिलीभगत से इस जमीन को 78 एकड़ के कैंपस में मिलाया। यूनिवर्सिटी 1997 से यहां संचालित है और वर्ष 2014 में इसे पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। मेडिकल और पैरामेडिकल कोर्स समय-समय पर जोड़े गए।

पुराने स्टाफ का भी खंगाला जा रहा रिकॉर्ड

जांच एजेंसियों ने सिर्फ वर्तमान डॉक्टर और स्टाफ ही नहीं, बल्कि पहले काम कर चुके कर्मचारियों की भी जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, यूनिवर्सिटी से जुड़ी पुरानी सूची में जम्मू कश्मीर के लोगों की संख्या काफी अधिक मिली है। जिसमें डॉक्टर, प्रोफेसर और छात्र तक शामिल हैं। एजेंसियां इस सूची को जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ साझा कर चुकी हैं ताकि सभी की पहचान और पृष्ठभूमि की विस्तृत जांच की जा सके।

Location : 
  • Faridabad

Published : 
  • 15 November 2025, 5:16 PM IST