

गोरखपुर: बच्चों की रंजिश बनी खूनी खेल की वजह, पिता-पुत्र पर चली गोली, गांव में दहशत,पढ़िए पूरी खबर
गोरखपुर में खूनी खेल
गोरखपुर: बुधवार शाम भगवानपुर गांव एक बार फिर गोलियों की आवाज़ से दहल उठा। बच्चों के बीच पुरानी रंजिश का ऐसा खौफनाक अंजाम होगा, किसी ने सोचा नहीं था। ज्वैलरी के दुकान से घर लौट रहे एक पिता-पुत्र पर गांव के ही एक व्यक्ति ने सरेआम गोली चला दी। दोनों गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, बुद्धवार शाम करीब 7:30 बजे भगवानपुर चौराहे पर अचानक अफरा-तफरी मच गई। दुकान से लौट रहे उमेश जायसवाल (45) और उनके बेटे रोहन (20) को बबलू सिंह (45) ने अपनी अवैध लसल्हे से गोली मार दी। उमेश की गांव में "जायसवाल ज्वेलर्स" नाम से दुकान है और उनका बेटा रोहन हाल ही में 12वीं पास कर इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था।
बताया जाता है कि दुर्गा सिंह बबलू और जायसवाल परिवार के बच्चों के बीच काफी समय से विवाद चल रहा था। बुद्धवार को दोनों पक्षों का आमना-सामना होते ही बात इतनी बिगड़ गई कि पहले कहासुनी हुई, फिर मारपीट। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जायसवाल पक्ष के कुछ लोगों ने बबलू सिंह को डंडों से पिटाई कर दी, जिसके बाद गुस्से में आकर उसने गोली चला दी।
घायलों के परिजनों का आरोप है कि बबलू सिंह दबंग किस्म का व्यक्ति है और पहले भी विवाद करता रहा है, लेकिन पुलिस ने कभी गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया। उमेश के पिता सुरेश जायसवाल ने कहा, "अगर पहले की शिकायतों पर कार्रवाई होती, तो आज मेरे बेटे और पोते खून में लथपथ न होते।"
घटना की जानकारी मिलते ही खजनी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज गोरखपुर भेजा। पुलिस ने बबलू सिंह के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है और उसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी हैं। उसकी असलहे की खोज में जुट गई है। थाना प्रभारी ने बताया, “घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने घायलों को समय रहते अस्पताल पहुंचाया। आरोपी को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। मामले की जांच तेजी से चल रही है।”
घटना के बाद भगवानपुर गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग डरे हुए हैं और आरोपी की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बच्चों की लड़ाई अब जानलेवा हो रही है, और पुलिस को ऐसे मामलों में पहले से सतर्क रहना चाहिए।
यह घटना न सिर्फ एक पारिवारिक विवाद का भयावह रूप दिखाती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि क्या पुलिस समय रहते हस्तक्षेप करती, तो यह सब रोका जा सकता था? ग्रामीणों और परिजनों की एक ही मांग है—आरोपी को जल्द गिरफ्तार किया जाए और इस तरह की घटनाओं पर सख्त नियंत्रण हो। गौरतलब है कि एक मामूली लड़ाई ने कैसे एक परिवार को तबाह कर दिया, और गांव को भय के साये में जीने को मजबूर कर दिया।