

गोरखपुर के बड़हलगंज थाना क्षेत्र से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: जनपद के बड़हलगंज थाना क्षेत्र से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक ग्रामीण ने पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई और फर्जी मुकदमे में फंसाने का गंभीर आरोप लगाया है। गांव भीटी दूबे निवासी राहुल घर दूबे, पुत्र स्वर्गीय श्रीश कुमार दूबे, ने न सिर्फ अपने पट्टीदारों पर पुश्तैनी जमीन पर कब्जे की कोशिश का आरोप लगाया है, बल्कि स्थानीय पुलिस पर भी मिलीभगत कर न्याय का गला घोंटने का आरोप जड़ दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हार मान कर पीड़ित राहुल दुबे परिवार के साथ एसएसपी गोरखपुर राज करन नैय्यर से गुहार लगाया है , एसएसपी परिसर में पीड़ित ने मीडिया से बताया पुलिस एकतरफा कार्यवाई की मार पीट के जुर्म में एकतरफा चालान किया गया है आरोप है स्तानीय पुलिस मनबढो के सहयोग कर अपनी विवेक प्रयोग कर खनयन्त्र कर रहे है ,जिससे आम जनताबक बिस्वास पुलिस से उठ रहा है ।
"अपनों ने छीना हक और कानून ने छीनी उम्मीद
राहुल के अनुसार, 20 मई 2025 को जब वे अपनी पुस्तैनी जमीन पर बाउंड्री बनवा रहे थे, तभी उपेंद्रनाथ, श्रीनाथ, दीपक, जयनाथ, मनोज और दुर्गेश दूबे लाठी-डंडों के साथ आ धमके। गाली-गलौज, जान से मारने की धमकी और मारपीट ये सब कुछ दिन-दहाड़े हुआ। आरोप है कि हमलावर राहुल के घर तक में घुस आए। ग्रामीणों की सूझबूझ से जान बची, लेकिन भय का माहौल अब भी बरकरार है।
पुलिस ने किया पीड़ित का चालान, आरोपियों को दी‘क्लीन चिट’?
चौंकाने वाली बात यह है कि इस हमले के बाद जब राहुल न्याय की आस लिए थाने पहुंचे, तो पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं की। उल्टे, अगले ही दिन 21 मई को राहुल पर ही धारा 126, 135, और 170 बीएनएस में चालान कर दिया गया।
फर्जी मुकदमे का फंदा और "बलात्कार" का झूठा आरोप
राहुल का आरोप है कि आरोपियों ने अब उन्हें बलात्कार जैसे संगीन मामले में फंसाने की झूठी तहरीर दी है, जिससे वह और उनका परिवार मानसिक तनाव और डर के साए में जी रहा है।
"पुलिस के भरोसे नहीं, अब ऊपरवालों से है आस!"
राहुल ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा, “मेरी पुस्तैनी जमीन हड़पने की साजिश रची जा रही है और पुलिस की एकतरफा कार्रवाई से मेरा जीवन खतरे में है।”
क्या बड़हलगंज थाने में दबंगों का राज है?
यह मामला गोरखपुर में लगातार बढ़ रहे जमीन विवादों की गंभीरता को उजागर करता है। पिपराइच के अमवा गांव में हालिया पैमाइश के दौरान हुई हिंसा इसका ताजा उदाहरण है।
अब सवाल ये है:
क्या राहुल को मिलेगा न्याय या दबंगों और पुलिस की मिलीभगत उसकी आवाज को दबा देगी?
क्या जिलाधिकारी और एसपी हस्तक्षेप करेंगे या यह मामला भी ‘फाइलों’ में दफन हो जाएगा?
गांव की गलियों से लेकर प्रशासनिक गलियारों तक, हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है—"क्या गोरखपुर में अब जमीन भी दबंगों की जागीर बन चुकी है?