Delhi: सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपी को जमानत, पीड़िता से जज ने कहा- तुम ऐसा कैसे कर सकती हो, जानें पूरा मामला

दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी को नियमित जमानत देते हुए पीड़िता के बयानों, एफआईआर में देरी और मेडिकल रिपोर्ट में चोट के अभाव को अहम आधार माना। अदालत ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोपी को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 21 December 2025, 10:33 PM IST
google-preferred

New Delhi: दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी को नियमित जमानत दे दी है। विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट (एसएफटीसी) की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रश्मि गुप्ता ने अपने आदेश में कहा कि मामले में पीड़िता के बयानों, परिस्थितियों और जांच रिपोर्ट में कई ऐसी कमियां हैं। जिनके आधार पर आरोपी को लंबे समय तक हिरासत या जेल में रखना उचित नहीं ठहराया जा सकता।

क्या है मामला?

यह मामला दिल्ली के डाबरी थाना क्षेत्र का है, जहां 10 अगस्त 2025 को पीड़िता की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी। शिकायत में बताया गया कि घटना 6 अगस्त 2025 की है। पीड़िता ने आरोप लगाया कि डांस क्लास से लौटते समय वह जनक सिनेमा फ्लाईओवर के पास आरोपी प्रशांत कुमार और उसके दोस्त लव कुश से मिली थी।

लगाए गए गंभीर आरोप

शिकायत में कहा गया कि दोनों आरोपियों ने उसे बहला-फुसलाकर प्रशांत की फैक्टरी में ले जाया। वहां पहले लव कुश और फिर चिरागु द्वारा उसके साथ दुष्कर्म किया गया। आरोप यह भी था कि प्रशांत कुमार ने इस घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया और धमकी दी कि यदि पीड़िता दोबारा फैक्टरी आई तो वीडियो वायरल कर दिया जाएगा।

ये कैसा बचपना: शादी में डीजे बजाने की नहीं मिली इजाजत तो दूल्हे ने उठाया ऐसा कदम, घर से निकली लाश

पीड़िता के बयानों पर अदालत की टिप्पणी

अदालत ने अपने 12 पन्नों के विस्तृत आदेश में कहा कि पीड़िता के बयानों में कई असंगतियां सामने आती हैं। न्यायाधीश ने टिप्पणी की है कि कथित घटना के बाद पीड़िता का व्यवहार सामान्य परिस्थितियों से मेल नहीं खाता। अदालत ने इसे “बेहद असंभावित” आचरण करार दिया।

घटना के बाद का आचरण

अदालत के अनुसार पीड़िता ने अपने ही बयान में बताया कि वह कथित घटना के बाद किसी अनजान व्यक्ति के घर रुकी। इसके बाद वह आरोपी की फैक्टरी गई और उसे थप्पड़ मारा। इतना ही नहीं, वह अपने दोस्त आफताब के साथ घूमती भी रही, जबकि इस दौरान उसका परिवार उसे तलाश कर रहा था। अदालत ने कहा कि इन परिस्थितियों में तत्काल शिकायत न करना सवाल खड़े करता है।

मेडिकल रिपोर्ट और देरी पर सवाल

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि मेडिकल जांच में पीड़िता के शरीर पर किसी प्रकार की चोट या यौन उत्पीड़न के स्पष्ट निशान नहीं पाए गए। इसके अलावा एफआईआर दर्ज कराने में चार दिन की देरी हुई, जिसकी कोई संतोषजनक व्याख्या रिकॉर्ड पर नहीं है। अदालत ने कहा कि देरी अपने आप में अभियोजन के मामले को कमजोर करती है।

मानसिक स्थिति को लेकर दलील

पीड़िता के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि वह आरोपी के प्रभाव और डर के कारण रिपोर्ट नहीं कर पाई, साथ ही उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। हालांकि, अदालत ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। न्यायाधीश ने कहा कि जांच में ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला और यह भी सामने आया कि पीड़िता नियमित रूप से डांस क्लास जाती थी और स्कूटी चलाती थी।

जमानत का आधार

अदालत ने यह भी कहा कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। ऐसे में आरोपी को जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। कोर्ट ने प्रशांत कुमार को 50,000 रुपये के मुचलके और एक जमानती पर नियमित जमानत दे दी।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 21 December 2025, 10:33 PM IST