बुलंदशहर में रेप पीड़िता को 5 साल बाद मिला इंसाफ, हैवान को जज ने सुनाई यह सजा, जानिए पूरा मामला

खुर्जा नगर की घटना में पीड़िता को न्याय मिला। आरोपी को 10 साल की सजा और 30,000 रुपए का अर्थदंड। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 6 June 2025, 8:34 PM IST
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बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा नगर में वर्ष 2020 में एक लड़की के साथ हुए दुष्कर्म मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 10 साल की सजा और 30,000 रुपए के जुर्माने का आदेश दिया है। न्यायालय के न्यायाधीश शिवानंद ने गंगन पुत्र अशोक शर्मा को दोषी करार दिया। आरोपी का संबंध ग्राम अरनिया मंसूरपुर से है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना अक्टूबर 2020 की है। जब खुर्जा नगर थाना क्षेत्र में एक लड़की के साथ दुष्कर्म की वारदात सामने आई थी। आरोपी गंगन ने पीड़िता को अपनी दरिंदगी का शिकार बनाया। जिसके बाद पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी।

पूरी तहकीकात के बाद हुई सुनवाई

पुलिस ने जून 2021 में न्यायालय में आरोप पत्र प्रस्तुत किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक के 'ऑपरेशन कन्विक्शन' अभियान के तहत इस केस की मॉनिटरिंग की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से ध्रुव कुमार वर्मा ने पैरवी की और अदालत में पांच गवाहों की गवाही भी हुई। अदालत में सुनवाई के दौरान गवाहों ने आरोपी के खिलाफ साक्ष्य पेश किए। जिससे आरोप साबित हुए। पुलिस ने केस की पूरी तहकीकात की और मामले को समय से न्यायालय में भेजने में सफलता प्राप्त की है।

इन लोगों ने निभाई अहम भूमिका

इस केस की मॉनिटरिंग में इंस्पेक्टर यशपाल सिंह, पैरोकार कांस्टेबल सुनील कुमार, और कोर्ट मोहर्रिर हेड कांस्टेबल जितेंद्र कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण मामले का सही दिशा में निपटारा हुआ। न्यायालय द्वारा दोषी गंगन को 10 साल की सजा और 30,000 रुपए का अर्थदंड सुनाया गया। यह सजा पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले ने यह साबित किया है कि कानून अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शेगा नहीं।

'ऑपरेशन कन्विक्शन' से कई लोगों को मिल रहा इंसाफ

उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से 'ऑपरेशन कन्विक्शन' के तहत इस मामले की निगरानी ने यह सुनिश्चित किया कि आरोपी को समय पर सजा मिले। इस अभियोजना ने दिखाया कि गंभीर अपराधों में त्वरित न्याय की दिशा में पुलिस और न्यायालय की सक्रियता महत्वपूर्ण है। यह फैसला समाज में एक संदेश भेजता है कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा।

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