

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है, जहां 30 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें से 20 पर कुल 79 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली संगठन की अहम इकाइयों से जुड़े थे।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Img: Internet)
Bijapur: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता मिली है। मंगलवार को पुलिस और सुरक्षा बलों के समक्ष कुल 30 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से कई नक्सली लंबे समय से पुलिस की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल थे। बीजापुर एसपी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले 20 नक्सलियों पर कुल मिलाकर 79 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में संगठन की कई महत्वपूर्ण इकाइयों के सदस्य शामिल हैं। इनमें डिवीजनल कमेटी का एक सदस्य, 'कंपनी नंबर दो' के पांच सदस्य, एरिया कमेटी के दो सदस्य, प्लाटून पार्टी के चार सदस्य, एरिया कमेटी पार्टी के पांच सदस्य, एरिया कमेटी पीएलजीए का एक सदस्य, चेतना नाट्य मंच के दो सदस्य, जनता सरकार के उपाध्यक्ष सहित पांच सदस्य, मिलिशिया प्लाटून के दो और दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन के दो सदस्य शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले कुछ प्रमुख नामों में सोनू हेमला उर्फ कोरोटी, कल्लू पुनेम उर्फ रंजीत, उसकी पत्नी पांडे पुनेम, कोसी कुंजाम, मोती पुनेम उर्फ हड़मे और छोटू कुंजाम उर्फ बड्डे शामिल हैं इन सभी पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था। वहीं, मंगली पोटाम और बोटी ओयाम उर्फ लालू पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था। इनके अलावा 10 नक्सलियों पर दो-दो लाख रुपये और दो पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Img: Internet)
पुलिस का कहना है कि संगठन में बढ़ते आंतरिक मतभेद, सुरक्षा बलों का लगातार दबाव और असुरक्षा की भावना के चलते इन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया। वे अब समाज की मुख्यधारा में लौटकर एक सामान्य और सुरक्षित जीवन जीना चाहते हैं। सभी आत्मसमर्पण करने वालों को सरकार की ओर से 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि के चेक सौंपे गए।
बीजापुर जिले में वर्ष 2025 की शुरुआत से ही नक्सल विरोधी अभियान तेजी से चल रहा है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक 331 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 307 ने आत्मसमर्पण किया है। वहीं 132 नक्सली मुठभेड़ों में मारे गए हैं। यह आत्मसमर्पण सुरक्षा बलों की रणनीति की सफलता का प्रतीक है और क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।