

सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे गिरकर 88.30 पर पहुंच गया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक दबाव रुपये पर असर डाल रहे हैं। बाजार की नजर अब फेडरल रिजर्व के ब्याज दर फैसले पर है।
फेड नीति और निर्यात शुल्क के बीच रुपया गिरा
Mumbai: सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे गिरकर 88.30 पर आ गया। निर्यात पर लगने वाले शुल्क, वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि बाजार अब अमेरिका के फेडरल रिजर्व के आगामी ब्याज दर फैसले की ओर देख रहा है, जो मुद्रा बाजार की दिशा तय कर सकता है।
सोमवार सुबह अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 88.25 प्रति डॉलर की दर से खुला, लेकिन जल्द ही यह फिसलकर 88.30 पर पहुंच गया। यह शुक्रवार के बंद भाव 88.26 की तुलना में चार पैसे कमजोर है।
शुक्रवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबरते हुए नौ पैसे मजबूत होकर बंद हुआ था। लेकिन सोमवार को व्यापार की शुरुआत कमजोर रही, जिससे साफ है कि वैश्विक आर्थिक संकेतों और घरेलू दबावों का असर बाजार पर लगातार बना हुआ है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, रुपये में गिरावट के प्रमुख कारणों में अमेरिकी व्यापार शुल्क की नीतियां, एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) की लगातार बिकवाली और घरेलू आर्थिक अनिश्चितताएं शामिल हैं। साथ ही, भारत के निर्यात पर बढ़ते शुल्क भी रुपये पर दबाव डाल रहे हैं, जिससे इसकी मांग घट रही है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.07% की बढ़त के साथ 97.61 पर पहुंच गया है। डॉलर की यह मजबूती भी अन्य देशों की मुद्राओं पर नकारात्मक असर डाल रही है, जिसमें रुपया भी शामिल है।
उधर, वैश्विक तेल बाजार में ब्रेंट क्रूड वायदा कीमत 0.58% चढ़कर 67.38 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि भारत जैसे आयातक देशों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे आयात बिल बढ़ता है और रुपये पर दबाव बनता है।
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मुद्रा बाजार की नजर अब अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा अगले सप्ताह लिए जाने वाले ब्याज दर निर्णय पर है। यदि फेड दरों में बढ़ोतरी करता है तो डॉलर और मजबूत हो सकता है, जिससे रुपये की और कमजोरी संभव है।
रुपये की यह हल्की गिरावट फिलहाल सीमित दायरे में है, लेकिन वैश्विक कारक और घरेलू नीतिगत फैसले मिलकर इसके भविष्य को प्रभावित करेंगे। निवेशकों और आयात-निर्यात से जुड़े व्यवसायों को सतर्कता से बाजार पर नजर बनाए रखने की सलाह दी जा रही है।