

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तिमाही बैठक 4 अगस्त 2025 से शुरू हो गई है। भारत-अमेरिका व्यापार तनाव और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच यह बैठक अर्थव्यवस्था के लिए अहम मानी जा रही है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा
New Delhi: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन महीने में एक बार होने वाली बैठक 4 अगस्त 2025 से शुरू हो चुकी है। इस बैठक में रेपो रेट, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर और बैंकिंग प्रणाली में तरलता जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों की समीक्षा की जाएगी।
वैश्विक परिदृश्य ने बढ़ाई चिंताएं
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब वैश्विक व्यापार माहौल में भारी अनिश्चितता है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता विफल हो गया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका द्वारा अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने की चेतावनी ने स्थिति को और भी संवेदनशील बना दिया है।
ऐसे माहौल में, आरबीआई की मौद्रिक नीति पर बाजार, निवेशक और आर्थिक विशेषज्ञ खास नजर बनाए हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई इस बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा और यथास्थिति बनाए रखेगा।
रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम
वर्ष 2025 की शुरुआत में आरबीआई पहले ही रेपो रेट में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है, जिससे ब्याज दरें काफी हद तक नीचे आ चुकी हैं। वर्तमान में उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) संतुलित स्थिति में है और आर्थिक विकास दर भी स्थिर है। इसलिए माना जा रहा है कि आरबीआई तब तक कोई बड़ा कदम नहीं उठाएगा जब तक भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में कुछ स्पष्टता नहीं आती।
एमपीसी की संरचना और निर्णय प्रक्रिया
मौद्रिक नीति समिति में कुल छह सदस्य होते हैं, जिसमें आरबीआई गवर्नर अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा केंद्रीय बैंक के दो वरिष्ठ अधिकारी और सरकार द्वारा नियुक्त तीन स्वतंत्र सदस्य भी शामिल होते हैं। समिति का उद्देश्य देश की मौद्रिक नीति का निर्धारण करना और महंगाई को नियंत्रित करते हुए आर्थिक वृद्धि को संतुलित बनाए रखना होता है।
कहां और कैसे देखें बैठक का परिणाम?
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा 6 अगस्त 2025 को सुबह 10 बजे इस बैठक के फैसलों की घोषणा करेंगे। यह घोषणा आरबीआई के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव प्रसारित की जाएगी।
बाजार की नजर गवर्नर के रुख पर
विशेषज्ञों और बाजार विश्लेषकों की निगाहें आरबीआई गवर्नर के बयान पर टिकी होंगी। रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम होने के बावजूद, गवर्नर की टिप्पणियां आने वाले महीनों के आर्थिक रुझानों, मुद्रास्फीति और वैश्विक प्रभावों को लेकर संकेत देंगी।