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चुनाव से पहले मोकामा में दो राजनीतिक काफिलों की भिड़ंत के दौरान बाहुबली दुलारचंद की मौत हो गई। इस वारदात ने एक बार फिर बिहार की बाहुबली राजनीति और अपराध के गठजोड़ को उजागर कर दिया है। चुनाव आयोग ने मामले पर रिपोर्ट तलब की है।
अपराध और खूनी जंग की कहानी है मोकामा
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मोकामा की सीट एक बार फिर सुर्खियों में है। पहले चरण के मतदान से पहले ही गुरुवार को हुई हिंसा ने पुरानी राजनीतिक यादों को ताज़ा कर दिया है। बताया जा रहा है कि दो राजनीतिक काफिले जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी और जदयू के प्रत्याशी अनंत सिंह एक चौराहे पर आमने-सामने आ गए। पहले नारेबाजी हुई, फिर पत्थर चले और देखते ही देखते गोलियां चल पड़ीं। अफरा-तफरी के बीच जन सुराज समर्थक 75 वर्षीय दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। चश्मदीदों के मुताबिक, गोली लगने के बाद उन्हें एक वाहन ने कुचल दिया। इस वारदात में करीब दर्जनभर लोग घायल हुए।
दुलारचंद यादव की हत्या के बाद मोकामा का माहौल तनावपूर्ण हो गया। बिहार चुनाव में यह पहली बड़ी हिंसक घटना मानी जा रही है। चुनाव आयोग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए बिहार के डीजीपी से रिपोर्ट मांगी है। वहीं, पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की हैं। एक दुलारचंद के परिवार द्वारा अनंत सिंह और उनके समर्थकों के खिलाफ, जबकि दूसरी अनंत सिंह पक्ष द्वारा जन सुराज कार्यकर्ताओं के खिलाफ।
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मोकामा विधानसभा सीट हमेशा से विवादों में रही है। यहां अपराध और राजनीति का गहरा रिश्ता रहा है। भूमिहार बहुल इस इलाके में 1952 के बाद से लगभग हर विधायक भूमिहार समाज से रहा है। इसी कारण इसे ‘भूमिहारों की राजधानी’ भी कहा जाता है। दुलारचंद यादव खुद भी आपराधिक मामलों से मुक्त नहीं थे। उनके खिलाफ हत्या, अपहरण, वसूली और जालसाजी जैसे ग्यारह से अधिक मामले दर्ज थे।
दुलारचंद कभी अनंत सिंह के करीबी रहे, लेकिन समय के साथ रिश्ते कटु हो गए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जन सुराज पार्टी से जुड़ने और अनंत सिंह की आलोचना करने के कारण उनके बीच दुश्मनी गहराती गई। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने मोकामा में अपराध और बाहुबल के खिलाफ अभियान चलाया था और दुलारचंद ने इस अभियान का खुलकर समर्थन किया। यही बात अनंत सिंह खेमे को नागवार गुज़री।
बिहार की राजनीति में अनंत सिंह ‘छोटे सरकार’ के नाम से मशहूर हैं। 1979 से लेकर अब तक उनके खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं—जिनमें हत्या, अपहरण, अवैध हथियार, रंगदारी और धमकी शामिल हैं। 2015 में उन्हें एक हत्या और अपहरण के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 2019 में उनके आवास पर छापेमारी में एके-47 राइफल, ग्रेनेड और कारतूस बरामद किए गए थे। इन मामलों के बावजूद 2020 के चुनाव में उन्होंने जदयू उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2022 में यूएपीए के तहत दोषी करार दिए जाने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
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अनंत सिंह के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी नीलम देवी ने 2022 में राजद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी रही कि 2024 में विधानसभा के शक्ति परीक्षण के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के पक्ष में वोट दिया था। 2024 में पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में अनंत सिंह को यूएपीए मामले से बरी कर दिया, जिससे उनकी राजनीति में वापसी का रास्ता खुल गया।
मोकामा में बाहुबली राजनीति सिर्फ अनंत सिंह तक सीमित नहीं है। यहां उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी भी मैदान में हैं, जिन्हें राजद ने टिकट दिया है। सूरजभान खुद भी चर्चित बाहुबली हैं और उनके खिलाफ 26 आपराधिक मामले दर्ज हैं। 1990 के दशक में उन्होंने मोकामा की राजनीति में प्रवेश किया था और अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह को हराया था। चूंकि सूरजभान के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है, इसलिए उनकी पत्नी वीणा देवी अब मोर्चा संभाले हुए हैं।
मोकामा हिंसा के बाद चुनाव आयोग ने बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाया है। डीजीपी को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया है और अवैध हथियारों की तलाशी अभियान शुरू हो गया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि हिंसा करने वाले किसी भी उम्मीदवार या समर्थक पर कार्रवाई की जाएगी।