हिंदी
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए गठबंधन ने शुरुआती रुझानों में बहुमत की बढ़त बनाई। महागठबंधन पीछे है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, शुरुआती आंकड़े उसके वोट शेयर और सीटों पर सीमित प्रभाव दिखाते हैं।
बिहार चुनाव में जन सुराज खामोश (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रारंभिक रुझान साफ़ कर रहे हैं कि राज्य में एनडीए गठबंधन ने निर्णायक बढ़त बना ली है। दिन की शुरुआत से ही एनडीए बहुमत के आंकड़े की ओर बढ़ता दिख रहा है। जेडी(यू) और भाजपा दोनों ही मजबूत प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके विपरीत, महागठबंधन (MGB) पिछड़ा हुआ है।
रुझानों में राजद अपने गठबंधन सहयोगी कांग्रेस की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन एनडीए की व्यापक बढ़त के सामने महागठबंधन का प्रभाव सीमित दिखाई दे रहा है।
चुनावी रणनीतिकार और राजनेता प्रशांत किशोर द्वारा गठित जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। शुरुआती रुझानों में पार्टी किसी भी महत्वपूर्ण सीट पर बढ़त नहीं दिखा रही। 200 से अधिक उम्मीदवार मैदान में होने के बावजूद पार्टी का वोट शेयर मामूली है और किसी भी विधानसभा क्षेत्र में निर्णायक प्रभाव नहीं डाल पा रहा है।
Bihar Election 2025: नीतीश–तेजस्वी के सहयोगियों की करारी फिसलन, बड़े दलों ने संभाली बाज़ी
जन सुराज की शुरुआत में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना थी, लेकिन नामांकन प्रक्रिया के दौरान दलबदल, वापसी और अन्य बाधाओं के कारण यह संख्या कम हो गई।
पिछले चुनावों के डेटा से साफ़ होता है कि बिहार में प्रमुख दलों का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है।
Vote Share: बिहार विधानसभा चुनावों में पिछले वर्षों के वोट शेयर और सीटों के आंकड़े बताते हैं कि राजनीति में दलों का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। वोट शेयर के लिहाज से देखें तो 2005 में राजद ने 23.46%, जेडी(यू) ने 20.46%, भाजपा ने 15.65% और कांग्रेस ने 6.09% वोट हासिल किए थे। 2010 में जेडी(यू) ने बढ़त बनाई और 22.58% वोट हासिल किए, जबकि राजद का वोट शेयर घटकर 18.84% रह गया। 2015 में भाजपा का वोट शेयर बढ़कर 24.42% हो गया, जबकि राजद और जेडी(यू) के वोट शेयर क्रमशः 18.35% और 16.83% रहे। 2020 में राजद ने 23.11% वोट शेयर हासिल किया, जेडी(यू) का 15.39% और भाजपा का 19.46% वोट शेयर रहा।
जन सुराज की पहली परीक्षा (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
Seat Share: सीट शेयर की बात करें तो 2005 में राजद 75, जेडी(यू) 55, भाजपा 37 और कांग्रेस शून्य सीटों पर विजयी हुई। 2010 में जेडी(यू) 115 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई, भाजपा ने 91 और राजद केवल 22 सीटें जीतीं। 2015 में राजद ने 80 सीटों के साथ फिर शीर्ष स्थान हासिल किया, जेडी(यू) 71 और भाजपा 53 सीटों पर सफल रही। 2020 में राजद 75, भाजपा 74 और जेडी(यू) 43 सीटों पर विजयी हुई। इस डेटा से स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में दलों के बीच सीटों और वोट शेयर में लगातार उतार-चढ़ाव रहता रहा है, और सत्ता का संतुलन अक्सर बदलता रहा है।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राजद कई सीटों पर शीर्ष व्यक्तिगत दल के रूप में सामने आ रहा है। जेडी(यू) और भाजपा का मजबूत प्रदर्शन एनडीए की बढ़त को सुनिश्चित कर रहा है।
चुनाव से पहले किए गए सभी एग्जिट पोल ने जन सुराज के लिए निराशाजनक भविष्यवाणी की थी। सर्वेक्षणों के अनुसार पार्टी अधिकतम पांच सीटें ही जीत सकती है। प्रशांत किशोर ने चुनाव में खुद नहीं लड़ने का निर्णय लिया, लेकिन उनकी पार्टी का प्रदर्शन यह तय करेगा कि उन्होंने एनडीए या महागठबंधन के वोटों में कितना सेंध डाला।
एनडीए की बढ़त से स्पष्ट है कि बिहार में सत्ता का संतुलन बदल रहा है। महागठबंधन पीछे है, जबकि जन सुराज जैसी नई पार्टियों को शुरुआत में ही चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस चुनाव ने बिहार की राजनीति में तीन बड़े संदेश दिए हैं-
1. एनडीए का मजबूत प्रदर्शन
2. महागठबंधन की सीमित पकड़
3. नई पार्टियों के लिए चुनौतीपूर्ण चुनावी मैदान