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भारत में 2026 सड़क परिवहन सुधारों का अहम साल बनने जा रहा है। नए एक्सप्रेसवे, बैरियर-फ्री टोल सिस्टम और रोड सेफ्टी बिल से यात्रा और सुरक्षा दोनों में बड़ा बदलाव होगा। सरकार का लक्ष्य बेहतर कनेक्टिविटी, कम हादसे और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi: भारत में सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्गों का स्वरूप आने वाले वर्षों में तेजी से बदलने वाला है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2026 को सुधारों का बड़ा पड़ाव बनाने की रणनीति तैयार कर ली है। इस व्यापक एजेंडे के दो प्रमुख स्तंभ हैं। देशभर में बिना रुकावट वाला बैरियर-फ्री टोल सिस्टम लागू करना और सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ती मौतों को रोकने के लिए नया रोड सेफ्टी बिल लाना। इसके साथ ही सरकार का फोकस बड़े एक्सप्रेसवे, रणनीतिक परियोजनाओं और निवेश बढ़ाने पर भी है।
अगले एक से दो वर्षों में देश में कई बहुप्रतीक्षित और बड़े हाईवे प्रोजेक्ट पूरे होने वाले हैं। इन परियोजनाओं के पूरा होने से न सिर्फ यात्रा समय में भारी कमी आएगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर को भी बड़ा लाभ मिलेगा। 1,362 किलोमीटर लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे नवंबर 2026 तक पूरी तरह चालू होने की उम्मीद है। यह परियोजना देश की सबसे महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है, जो उत्तर भारत को पश्चिमी भारत से सीधे जोड़ेगी।
इसके अलावा अमृतसर-जामनगर हाईवे दिसंबर 2026 तक, बंगलूरू-चेन्नई एक्सप्रेसवे जून 2026 तक, अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे मार्च 2026 तक, इंदौर-हैदराबाद हाईवे मई 2026 तक और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे जनवरी 2026 तक पूरा होने की संभावना है। इन सभी प्रोजेक्ट्स से मौजूदा सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा और माल ढुलाई तेज व सस्ती होगी।
इसी कड़ी में अप्रैल 2026 में 13 किलोमीटर लंबी जोजिला टनल के उद्घाटन की योजना है। यह एशिया की सबसे लंबी टनल मानी जा रही है। इसके शुरू होने से श्रीनगर और लेह के बीच सालभर संपर्क बना रहेगा। फिलहाल खराब मौसम में जहां इस मार्ग पर तीन घंटे या उससे अधिक समय लग जाता है, वहीं टनल के शुरू होने के बाद यह दूरी महज 20 मिनट में पूरी हो सकेगी। यह परियोजना रणनीतिक और सुरक्षा की दृष्टि से भी बेहद अहम मानी जा रही है।
सड़क निर्माण के साथ-साथ मंत्रालय टोल वसूली व्यवस्था में भी बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, देशभर में बिना रुकावट वाला बैरियर-फ्री टोल सिस्टम लागू करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके पहले चरण के लिए 10 टेंडर जारी किए गए हैं।
वर्तमान व्यवस्था में टोल वसूली की लागत करीब 15 फीसदी तक पहुंच जाती है, जबकि नए सिस्टम में इसे घटाकर लगभग 3 फीसदी करने का लक्ष्य है। सालाना 50 से 60 हजार करोड़ रुपये के टोल कलेक्शन पर इससे करीब 8,000 करोड़ रुपये तक की बचत संभव मानी जा रही है। इससे टोल प्लाजा पर लगने वाला समय बचेगा और राजस्व लीकेज पर भी प्रभावी नियंत्रण लगेगा।
नया टोल सिस्टम ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फास्टैग तकनीक पर आधारित होगा। वाहन बिना रुके गुजरेंगे और डिजिटल पहचान के आधार पर टोल अपने आप कट जाएगा। नियम तोड़ने पर ई-नोटिस भेजे जाएंगे। लगातार भुगतान न करने की स्थिति में फास्टैग सस्पेंड करने से लेकर वाहन (VAHAN) रिकॉर्ड से जुड़ी कार्रवाई तक हो सकती है। इससे पहले 2025 में निजी वाहन मालिकों के लिए सालाना फास्टैग पास की सुविधा शुरू की गई थी, जिसमें 3,000 रुपये में 200 टोल क्रॉस करने की सुविधा दी गई।
हाईवे नेटवर्क के तेजी से विस्तार के बावजूद सड़क सुरक्षा एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्वीकार किया है कि अब तक के प्रयास अपेक्षित सफलता नहीं दिला सके हैं। इसी वजह से सरकार अब एक नया रोड सेफ्टी बिल लाने की तैयारी कर रही है, जिसे संसद के अगले सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।
भारत में हर साल करीब 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें लगभग 1.8 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से करीब 66 फीसदी मृतक 18 से 34 वर्ष की आयु के होते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में सड़क हादसों में मौतों की संख्या 2.3 फीसदी बढ़कर 1.77 लाख से ज्यादा हो गई, यानी रोज औसतन 485 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। यह स्थिति सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।
आने वाले समय में मंत्रालय सड़क परियोजनाओं के अवॉर्ड की रफ्तार भी बढ़ाने जा रहा है। 2025-26 में करीब 12,000 किलोमीटर और 2026-27 में 13,000 से 13,500 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं के अवॉर्ड का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही मार्च 2026 से पहले एक पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट शुरू करने की योजना है, जिससे राष्ट्रीय राजमार्गों की परिसंपत्तियों से पूंजी जुटाई जा सके और निवेशकों को दीर्घकालिक अवसर मिलें।