

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को उनकी विवादित टिप्पणी के बाद चारों तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इसका पूरा विश्लेषण देखें देश के जाने-माने पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश के स्पेशल शो “The MTA Speaks” पर
कर्नल सोफिया कुरैशी पर विजय शाह के विवादित बयान के खिलाफ बड़ा आक्रोश
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी (Colonel Sofia Qureshi) पर विवादित बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों समेत चारों तरफ उनकी कड़ी आलोचना हो रही है। इस बयान पर पहले हाई कोर्ट (High Court) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पहले उन्हें जबरदस्त फटकार लगाई, और FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
देश के जाने-माने पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने स्पेशल शो "The MTA Speaks" में इसका विश्लेषण करते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने भी बयान को लेकर मंत्री को लताड़ लगाई और FIR रद्द करने से इंकार कर दिया। हालांकि, अभी इस पर सुनवाई आनो वाले मंगलवार यानी 20 मई को फिर होनी है।
इस विवाद की शुरुआत 11 मई को उस समय हुई जब शाह ने इंदौर के रायकुंडा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ अमर्यादित और आपत्तिजनक बयान दिया। विजय शाह ने कहा, "जिन लोगों ने हमारी बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, मोदी जी ने उन्हीं की बहन को भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करा दी।"
मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह
इस बयान के दो दिन बाद 13 मई को जब इसका वीडियो वायरल हुआ, तो कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने BJP और सरकार को घेरना शुरू कर दिया। इसके चलते पार्टी ने विजय शाह (Vijay Shah) को भोपाल तलब किया, जहां उन्हें संगठन महामंत्री द्वारा जमकर फटकार लगाई गई। बाद में शाह ने माफी मांगते हुए मामले को ठंडा करने की कोशिश की, लेकिन तब तक मामला काफी बढ़ चुका था।
मामले ने एक नया मोड़ 14 मई को लिया, जब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए विजय शाह के खिलाफ 4 घंटे में FIR दर्ज करने का आदेश दिया। लेकिन इस FIR को लेकर उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की, यह कहते हुए कि पुलिस ने इसे केवल खानापूरी के लिए दर्ज किया है। न्यायालय ने साफ कहा कि शाह का बयान कर्नल सोफिया कुरैशी का अपमान है और यह भारतीय न्याय संहिता के तहत गंभीर अपराध बनता है।
15 मई को जब मध्य प्रदेश पुलिस ने मंत्री के खिलाफ हल्की FIR दर्ज की, तो हाईकोर्ट फिर से भड़क गया। जस्टिस अतुल श्रीधरन ने कहा कि मामले में गहन जांच की आवश्यकता है और अब पुलिस जांच की निगरानी कोर्ट ही करेगी। इस स्थिति में भाजपा नेतृत्व पूरी तरह से मंत्री विजय शाह का बचाव करने में जुट गया।
इसके बाद मंत्री विजय शाह ने मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने का फैसला किया। लेकिन वहां भी उन्हें निराशा ही मिली, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उनके अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि मंत्रियों से जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है।
इस विवाद में कांग्रेस ने भी अपनी भूमिका निभाई, जहां उन्होंने राज्यपाल से विजय शाह की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की। इसके साथ ही महिला कांग्रेस ने मंत्री के बंगले के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसे पुलिस ने रोकने का प्रयास किया।
कर्नल सोफिया कुरैशी एक उच्च अधिकार प्राप्त अधिकारी हैं, जिनका परिवार पिछले तीन दशकों से भारतीय सेना में सेवा दे रहा है। वे एक महत्वपूर्ण सैन्य ऑपरेशन के बाद सुर्खियों में आईं। उनके प्रति आपत्तिजनक बयान ने न केवल उन्हें बल्कि सभी महिलाओं को अपमानित किया है।
विजय शाह मध्य प्रदेश के आठ बार के विधायक हैं और भाजपा में आदिवासी चेहरा माने जाते हैं। उनकी यह स्थिति भाजपा के लिए संकट का कारण बन सकती है, खासकर जब पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने उनके खिलाफ बर्खास्तगी और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
मध्य प्रदेश सरकार और भाजपा के लिए यह समय चुनौती का है। यह स्पष्ट नहीं है कि वे विजय शाह को बरकरार रखेंगे या पार्टी से निष्कासन की कार्रवाई करेंगे। इस विवाद के चलते उन्हें आंतरिक सियासी समीकरणों के साथ-साथ जनता की प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना पड़ेगा। देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कार्रवाई क्या होती है।