कुमाऊं की अनूठी लोककला, 1000 साल पुरानी जानिए इस आनोखी प्रथा के बारे में

उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर ऐपण कला आज भी अपनी प्राचीनता और पवित्रता को जीवित रखे हुए है। लगभग 1000 साल पुरानी यह अनुष्ठानिक लोककला कुमाऊँ क्षेत्र की विशेष पहचान है, जिसकी जड़ें चंद राजाओं के शासनकाल से जुड़ी हुई मानी जाती हैं।

Post Published By: रवि पंत
Updated : 27 September 2025, 10:59 AM IST
google-preferred

Haridwar: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर ऐपण कला आज भी अपनी प्राचीनता और पवित्रता को जीवित रखे हुए है। लगभग 1000 साल पुरानी यह अनुष्ठानिक लोककला कुमाऊँ क्षेत्र की विशेष पहचान है, जिसकी जड़ें चंद राजाओं के शासनकाल से जुड़ी हुई मानी जाती हैं। माना जाता है कि इस कला का प्रारंभ कुमाऊँ के प्रथम चंद राजा सोमचंद के समय से हुआ। विशेष रूप से ब्राह्मण और शाह समुदाय ने इस कला को संरक्षित कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया।

इस कला की सबसे बड़ी खूबी इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। ऐपण में लाल गेरू की सतह पर चावल के आटे से बने सफेद पेस्ट, जिसे स्थानीय भाषा में ‘बिस्वार’ कहते हैं, की मदद से विविध आकृतियाँ उकेरी जाती हैं। ज्यादातर डिज़ाइनों में स्वस्तिक, सूर्य, देवी-देवताओं के पदचिह्न, पुष्प और ज्यामितीय आकृतियाँ शामिल होती हैं। इन्हें बनाने के लिए महिलाएँ अपनी तर्जनी और अनामिका उंगलियों का प्रयोग करती हैं। माना जाता है कि ये आकृतियाँ घर में सुख-समृद्धि लाती हैं और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती हैं।

गुरुग्राम में मौत तांडव: बिखरी लाशों को चुगती दिखी पुलिस, जानें तेज रफ्तार थार कैसे बनी यमराज की कार?

कुमाऊँ की महिलाएँ इस कला की मुख्य साधक रही हैं। विवाह, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों जैसे शुभ अवसरों पर घरों की दीवारों और आँगनों को ऐपण से सजाना आज भी परंपरा का हिस्सा है। दीपोत्सव, उपनयन संस्कार और देवी-पूजन जैसे अवसरों पर ऐपण विशेष महत्व रखता है।

हरिद्वार में ऐपण कला की प्रख्यात कलाकार पूजा पंत ने बताया कि “अब इस कला का विस्तार तेजी से हो रहा है। पहले यह केवल घरों की चारदीवारी तक सीमित थी, लेकिन अब महिलाएँ इसे आजीविका का साधन भी बना रही हैं।” उनके अनुसार ग्रामीण महिलाएँ ऐपण आधारित पेंटिंग, कपड़े और सजावटी वस्तुएँ बनाकर बाज़ार में बेच रही हैं। इससे न केवल परंपरा को नया जीवन मिला है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता भी खुला है।

कथित भाजपा नेता पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज, गिरफ्तारी की लटकी तलवार, जानिये पूरा माजरा

आज ऐपण कला केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी है। परंपरा और आधुनिकता का यह संगम आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य कर रहा है।

 

Location : 
  • Uttarakhand

Published : 
  • 27 September 2025, 10:59 AM IST