

उत्तराखंड अपनी खास रस्मों के लिए जाना जाता है। यहां की कई ऐसी अनोखी रस्में है जो इसे अनोखा बनाती है।
शादीशुदा महिलाओं ने निभाई अनोखी रस्म
नरेंद्रनगर: उत्तराखंड अपनी खास रस्मों के लिए जाना जाता है। यहां की कई ऐसी अनोखी रस्में है जो इसे अनोखा बनाती है। आज उत्तराखंड के नरेंद्रनगर में एक और खास रस्म निभाई गई। भगवान बद्री विशाल के अभिषेक की तैयारी के तहत नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में पवित्र अनुष्ठान किया गया। इस अवसर पर टिहरी सांसद एवं महारानी राज्य लक्ष्मी शाह के नेतृत्व में नगर की 70 से अधिक विवाहित महिलाओं ने तिल का तेल पिरोने की परंपरा निभाई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सभी महिलाएं पीले वस्त्र धारण कर व्रती थीं और मूसल, खरल और मूसल से तिल का तेल पिरो रही थीं। इस तेल में विशेष जड़ी-बूटियां मिलाकर इसे विशेष बर्तन में तेज आंच पर पकाया गया, फिर इसे चांदी के कलश में भरा गया।
धार्मिक पंचायत के पुजारियों ने तेल से भरे कलश की विधिवत पूजा-अर्चना की। इसके बाद राजपरिवार द्वारा इस पवित्र तेल कलश (गाडू घड़ा) को डिमरी केंद्रीय धार्मिक पंचायत को सौंप दिया गया। इस समारोह में महारानी राज्य लक्ष्मी शाह ने उपस्थित श्रद्धालुओं से भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह यात्रा करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। उन्होंने भगवान बद्रीनाथ से देश और प्रदेश की सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।
इस धार्मिक आयोजन के बाद आज शाम राजमहल से सुसज्जित रथ में तेल कलश की भव्य शोभा यात्रा शुरू होगी, जो 3 मई को बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी। 4 मई को प्रातः 6:00 बजे भगवान बद्रीनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। इस कार्यक्रम की शुरुआत तिलों का तेल पिरोने की रस्म और गाडू घड़ा तेल कलश की शोभा यात्रा से होती है, जिसे चार धाम यात्रा का शुभारंभ माना जाता है।
इस अवसर पर महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की पुत्री क्षीरजा अरोड़ा, उनकी पौत्री अहाना, डिमरी सेंट्रल धार्मिक पंचायत के शैलेंद्र डिमरी, संजय डिमरी, अरविंद डिमरी, हरीश डिमरी, दिवाकर डिमरी सहित अन्य परिजन मौजूद रहे। इस धार्मिक आयोजन से न केवल पवित्रता की भावना प्रकट हुई, बल्कि चारधाम यात्रा के प्रति आस्था भी मजबूत हुई।
उत्तराखंड में, खासकर बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले तिल का तेल डालने की परंपरा एक अनोखी और महत्वपूर्ण धार्मिक रस्म है। इसमें विवाहित महिलाएं नरेंद्रनगर के राजमहल में पारंपरिक तरीके से तिल का तेल निकालती हैं, जिसका इस्तेमाल बाद में भगवान बद्री विशाल के अभिषेक और बद्रीनाथ धाम में अखंड ज्योति जलाने में किया जाता है।
शीतलापुर सीमा पर बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, फर्जी दस्तावेज बरामद; बढ़ाई गई सुरक्षा