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रामनगर के ग्राम पूछडी में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के विरोध में पीड़ित परिवारों और संगठनों ने आक्रोश रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने सरकार और वन विभाग पर पुनर्वास न देने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की और आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन
Ramnagar: रामनगर के ग्राम पूछडी में वन भूमि से हटाए गए अतिक्रमण के खिलाफ पीड़ित परिवारों और विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों का गुस्सा मंगलवार को सड़कों पर देखने को मिला। प्रशासन और वन विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के विरोध में व्यापार मंडल कार्यालय से तराई पश्चिमी वन प्रभाग कार्यालय तक आक्रोश रैली निकाली गई, जिसमें सरकार और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
गौरतलब है कि बीती 7 दिसंबर को ग्राम पूछडी में वन भूमि पर किए गए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन एवं वन विभाग की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 52 अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त किया था। इस कार्रवाई के बाद से ही पीड़ित परिवारों और कई संगठनों द्वारा इसका लगातार विरोध किया जा रहा है। पीड़ितों का आरोप है कि कार्रवाई के दौरान न तो उन्हें पर्याप्त समय दिया गया और न ही किसी प्रकार के पुनर्वास की व्यवस्था की गई।
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मंगलवार को निकाली गई आक्रोश रैली में बड़ी संख्या में पीड़ित परिवारों के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर सरकार और वन विभाग के खिलाफ नारे लगाए। रैली के दौरान “गरीबों को न्याय दो”, “पुनर्वास नहीं तो अतिक्रमण नहीं हटाओ” जैसे नारे गूंजते रहे।
रैली के बाद तराई पश्चिमी वन प्रभाग परिसर में एक जनसभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और वन विभाग के प्रति नाराजगी जताई। वक्ताओं का कहना था कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को बेघर किया जा रहा है, साथ ही उन्हें डराने और धमकाने का काम भी किया जा रहा है।
सड़कों पर उतरे लोग
जनसभा में वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि अतिक्रमण हटाने से पहले सरकार को पीड़ित परिवारों के पुनर्वास की ठोस व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होंने वन अधिकार कानून 2006 का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। उनका कहना था कि वर्षों से रह रहे लोगों को एक झटके में उजाड़ देना न्यायसंगत नहीं है।
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि कुछ लोग पीड़ित परिवारों के घर जाकर उन्हें बहकाने और भ्रमित करने का काम कर रहे हैं, जिनमें कुछ भाजपा के एजेंट भी शामिल हैं। इसके साथ ही रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट और सांसद अनिल बलूनी पर भी नाराजगी जाहिर की गई। वक्ताओं ने कहा कि दोनों जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवारों को सही जानकारी देने के बजाय भ्रमित कर रहे हैं।
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प्रदर्शनकारियों ने सांसद अनिल बलूनी को उनके चुनाव प्रचार के दौरान किए गए वादों की याद दिलाते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि उन वादों पर अमल किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार और वन विभाग ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी और प्रदर्शनकारी सरस्वती जोशी ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो डीएफओ का घेराव किया जाएगा और उनके कार्यालय में आने-जाने को भी बाधित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल पूछडी गांव की नहीं, बल्कि उन सभी गरीबों की है जो वर्षों से अपनी जमीन और घर के लिए संघर्ष कर रहे हैं।