

हरिद्वार के कनखल स्थित प्रतिष्ठित रामकृष्ण मिशन (बंगाली) अस्पताल से गुरुवार को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल गेट पर तैनात गार्ड की जिद और अमानवीय रवैये के कारण उन्हें मृतका का शव अपने कंधों पर उठाकर अस्पताल से बाहर ले जाना पड़ा।
हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार के कनखल स्थित प्रतिष्ठित रामकृष्ण मिशन (बंगाली) अस्पताल से गुरुवार को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल गेट पर तैनात गार्ड की जिद और अमानवीय रवैये के कारण उन्हें मृतका का शव अपने कंधों पर उठाकर अस्पताल से बाहर ले जाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली और मानवीय संवेदनाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, कनखल क्षेत्र की 17 वर्षीय बालिका की रामकृष्ण मिशन अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। परिजन शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस लेकर अस्पताल पहुंचे। लेकिन गेट पर मौजूद गार्ड ने एंबुलेंस को अस्पताल परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। आरोप है कि गार्ड ने चालक के साथ अभद्रता की और कहा कि "बिना आदेश अंदर नहीं जा सकते।" परिजनों द्वारा समझाने के बावजूद गार्ड अपनी जिद पर अड़ा रहा।
शव अपने हाथों और कंधों पर उठाकर गेट से बाहर...
गार्ड के रवैये से परेशान होकर परिजनों ने मजबूरी में मृतका का शव अपने हाथों और कंधों पर उठाकर गेट से बाहर लाया और फिर एंबुलेंस में रखा। इस हृदयविदारक दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग भावुक और आक्रोशित हो गए। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाते हुए विरोध भी जताया।
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प्रशासन से लिखित स्पष्टीकरण मांगा
घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। सीएमओ हरिद्वार डॉ. आर.के. सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अस्पताल प्रशासन से लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि लापरवाही या अनुशासनहीनता पाई जाती है तो दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता...
स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल के गेट पर सुरक्षा के नाम पर अक्सर मरीजों और परिजनों को अनावश्यक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि अस्पताल में मरीजों और परिजनों के साथ मानवीय व्यवहार को प्राथमिकता दी जाए।इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और अस्पतालों में मानवीय संवेदनाओं की कमी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर अस्पताल को रोगियों की सेवा और दुख बांटने का केंद्र माना जाता है, वहीं गार्ड की इस तरह की जिद और कठोर व्यवहार ने व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर कर दिया।