नैनीताल राजभवन का नाम बदला, ऐतिहासिक धरोहर की पहचान अब होगी इस नाम से दर्ज

उत्तराखंड सरकार ने देहरादून और नैनीताल स्थित राजभवनों का नाम बदलकर लोकभवन कर दिया है। ब्रिटिश काल में बनी इन ऐतिहासिक इमारतों को अब नई आधिकारिक पहचान मिल गई है। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी कर इसे लोक भवन उत्तराखंड घोषित किया गया है।

Dehradun: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की दो सबसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक इमारतों- देहरादून और नैनीताल स्थित राजभवनों, का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया है। केंद्र सरकार से प्राप्त आधिकारिक पत्र और राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह की मंजूरी के बाद राज्यपाल सचिव रविनाथ रमन ने नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी कर दी। अब इन भवनों से जुड़ी सभी आधिकारिक पहचानें और गतिविधियां नए नाम लोकभवन के तहत संचालित होंगी।

126वें वर्ष में नैनीताल लोक भवन

ब्रिटिश काल में निर्मित नैनीताल का राजभवन, जो अब लोकभवन कहलाएगा, हाल ही में अपने 125 वर्ष पूरे कर चुका है और 126वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस वर्ष यहां पहुंचकर भवन की ऐतिहासिक विरासत और अनोखी वास्तुकला का अवलोकन किया था। इस भवन का निर्माण 27 अप्रैल 1897 को शुरू हुआ और मार्च 1900 तक इसका स्वरूप पूरी तरह तैयार हो गया। पश्चिमी गौथिक शैली में ‘E’ आकार में निर्मित इस अद्वितीय संरचना के निर्माण में तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर एंटनी पैट्रिक मैकडोनाल्ड की अहम भूमिका मानी जाती है।

ब्रिटिश शासन में था प्रमुख ग्रीष्मकालीन केंद्र

ब्रिटिश काल में नैनीताल को गर्मियों के दौरान महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र का दर्जा प्राप्त था। दिल्ली को राजधानी बनाए जाने के बाद जहां शिमला केंद्रीय ग्रीष्मकालीन राजधानी बना, वहीं अवध प्रांत के लिए लखनऊ मुख्य केंद्र और नैनीताल ग्रीष्मकालीन मुख्यालय के रूप में विकसित किया गया। नैनीताल में पहला अस्थायी राजभवन 1862 में रैमजे अस्पताल परिसर में स्थापित हुआ, जो बाद में 1865 में माल्डन हाउस और 1875 में स्नो व्यू क्षेत्र में स्थानांतरित किया गया। लेकिन भूस्खलन की घटनाओं के चलते इसे सुरक्षित स्थल पर ले जाना आवश्यक हो गया, जिसके बाद शेरवुड हाउस के पास वर्तमान भवन का निर्माण शुरू किया गया।

160 एकड़ में फैला परिसर 

करीब 160 एकड़ के घने जंगलों के बीच बसे इस परिसर को अंग्रेजों ने अपनी ग्रीष्मकालीन गतिविधियों के अनुरूप विकसित किया था। 1925 में यहां 75 एकड़ में एशिया का सबसे ऊंचा और विशिष्ट गोल्फ कोर्स बनाया गया, जहां कभी अंग्रेज अधिकारी गोल्फ खेल का आनंद लेते थे।

लंबे समय तक यह पूरा क्षेत्र आम लोगों के लिए प्रतिबंधित रहा, लेकिन वर्ष 1994 में इसे पहली बार स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। इसके बाद से यह भवन केवल प्रशासनिक प्रतीक ही नहीं रहा, बल्कि नैनीताल के पर्यटन, विरासत और इतिहास का महत्वपूर्ण अंग बन गया।

Location : 
  • Nainital

Published : 
  • 1 December 2025, 7:45 PM IST