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हरिद्वार में इस वक्त माहौल गरमाया हुआ है, जहां ग्रामीण मिक्सचर प्लांट को लेकर परेशान है। पूरी खबर के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
मिक्सचर प्लांट को लेकर ज्ञापन
हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां बहादराबाद ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले अन्नाकी हेतमपुर, पूरनपुर, सलहापुर, सुमननगर सहित कई गांवों की खुशियां अब मिक्सचर प्लांट की वजह से गम में बदल गई हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक जहां पहले हरियाली और शांति का माहौल था, वहां अब केवल धूल, शोरगुल और टूटी-फूटी सड़कों का साम्राज्य नजर आता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह मिक्सचर प्लांट उनके लिए अभिशाप बन गया है।
ग्रामीणों ने बताई अपनी समस्या
ग्रामीणों के अनुसार पिछले लगभग आठ वर्षों से वे इस समस्या से जूझ रहे हैं। लगातार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिए जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। गांवों में मिक्सचर प्लांट की वजह से भारी वाहन जैसे ट्रक और ट्रैक्टर दिन-रात गुजरते हैं, जिससे धूल उड़ती रहती है और सड़कें खस्ताहाल हो गई हैं। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बरसात के मौसम में होती है ज्यादा परेशानी
मिक्सचर प्लांट को लेकर ग्रामीण आगे कहते हैं कि बरसात के मौसम में स्थिति और भी बदतर हो जाती है। सड़कें कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं, जिससे लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं, प्लांट संचालकों का रवैया भी ग्रामीणों के आक्रोश को और भड़का रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मालिकों को न तो लोगों की चिंता है और न ही पर्यावरण की।
ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी
ग्रामीणों का सब्र अब टूट चुका है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही प्रशासन द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि इस बार संघर्ष आर-पार का होगा।
ग्रामीणों ने प्रशासन के सामने रखी कई मांगे
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल इस प्लांट की जांच कराने, सड़क मरम्मत, धूल नियंत्रण के उपाय और भारी वाहनों के संचालन पर सीमित समय निर्धारित करने की मांग की है। वहीं, स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी लोगों को उम्मीद है कि वे इस गंभीर मुद्दे पर आवाज उठाएंगे। अगर समय रहते हल नहीं निकाला गया, तो बहादराबाद ब्लॉक के ये गांव आंदोलन का केंद्र बन सकते हैं।