Mansa Devi Mandir: हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में क्यों जुटती है भक्तों की भीड़, जानिए इसका महातम

हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध है। इसका नाम ‘मनसा’ शब्द से आया है, जिसका अर्थ है ‘मन की इच्छा’

Post Published By: Jay Chauhan
Updated : 27 July 2025, 6:20 PM IST
google-preferred

नई दिल्ली: हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह दुखद घटना सामने आयी जिसने सबको झकझोर दिया। इस हादसे में करीब 6 लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।

आखिर मनसा देवी मंदिर में इतनी भीड़ क्यों जुटती है। क्या है इस मंदिर की मान्यता, क्यों श्रद्धालु इस मंदिर में खिंचे चले आते हैं। जानिए इस मंदिर के महत्व के बारे में-

मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित है। यह सबसे प्रसिद्ध और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। जो हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बिल्वा पर्वत पर स्थित है और हरिद्वार शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

मनसा देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार  यह वह स्थान है जहां समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। इसके अलावा, कुछ मान्यताओं के अनुसार यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां माता सती का मस्तिष्क गिरा था, जिसके कारण इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है।

मनसा देवी मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। यह मंदिर भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने वाली देवी के रूप में प्रसिद्ध है। इसका नाम 'मनसा' शब्द से आया है, जिसका अर्थ है 'मन की इच्छा'। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में आकर माता के दर्शन करता है और अपनी इच्छा व्यक्त करता है, माता मनसा देवी उसकी मनोकामना पूरी करती हैं।

हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर में माता मनसा देवी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का एक रूप मानी जाती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मनसा देवी भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं, जिनका प्रादुर्भाव शिव के मन (मस्तक) से हुआ, इसलिए इन्हें 'मनसा' कहा जाता है।

इस मंदिर की सबसे खास परंपरा है- पेड़ पर धागा बांधना. भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर परिसर में मौजूद एक पवित्र वृक्ष पर धागा (मौली) बांधते हैं और प्रार्थना करते हैं। जब उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वे दोबारा मंदिर आकर उस धागे को खोलते हैं और माता का आभार प्रकट करते हैं।

Location : 
  • Haridwar

Published : 
  • 27 July 2025, 6:20 PM IST