

बद्री केदार मंदिर समिति ने केदारनाथ धाम में 2013 की त्रासदी में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए भागवत कथा का आयोजन किया है।
केदारनाथ धाम में भागवत कथा का आयोजन
Rudraprayag: बद्री केदार मंदिर समिति एवं केदार सभा ने केदारनाथ धाम में 2013 में आई त्रासदी में मारे गए लोगों की पुण्य आत्मा की शांति के लिए भागवत कथा का आयोजन किया है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार बीकेटीसी के अनुसार कथा का आयोजन 25 जुलाई से 1 अगस्त तक होगा। केदारसभा और बद्री-केदार मंदिर समिति द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है
जानकारी के अनुसार केदार सभा के अध्यक्ष पंडित राज कुमार तिवारी ने बताया कि 2013 की आपदा में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए श्रावण मास में 25 जुलाई से 1 अगस्त तक केदारनाथ धाम में भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आपदा में मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए यह आवश्यक है कि भागवत कथा का आयोजन किया जाए। साथ ही उन्होंने कहा कि ये भी आवश्यक है कि देवभूमि में सब शांति की खोज में आते है, इसलिए भी भागवत जरूरी है।
गौरतलब है कि 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में एक त्रासदी आई थी जिसमें हजारों की संख्या में लोग काल के गाल में समा गए थे। कुछ लोग आज भी अपनों को खोजते रहते हैं लेकिन उनका आज तक पता नहीं चल पाया।
बता दें की 2013 में भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान केदारनाथ की यात्रा पर आए थे लेकिन 16-17 जून को केदारनाथ में एक ऐसी आपदा आई जो सबको बहा कर ले गई।
लोगों की शांति के लिए केदार सभा ने जुलाई में उनकी पुण्य आत्मा के लिए भागवत कथा का आयोजन किया है।
केदार सभा ने अपील की है कि जिनके परिवार के लोग इस आपदा में गुम हो गए, मारे गए और आज तक नहीं मिल पाए वह लोग अपने लोगों की आत्मा की शांति के लिए केदारनाथ धाम में होनी वाली भागवत कथा में शामिल हो सकते हैं या उनका फोटो भेज सकते हैं। उनके रहने-खाने की सारी व्यवस्था केदार सभा की ओर से की जाएगी।
16 जून 2013 को उत्तराखंढ (Uttarakhand) के केदारनाथ (Kedarnath) वासियों को प्रलयकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। बाढ़ की यह त्रासदी सदियों तक लोगों के जेहन में रहेगी। इस आपदा में हजारों लोगों की जानें चली गईं. कई घरों का नामोनिशान मिट गया। केदारनाथ और इसका तीर्थ स्थान दोनों इस प्राकृतिक आपदा की चपेट में आए थे, लेकिन जल प्रलय में भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।