हरिद्वार: जमीन घोटाले में डीएम के निलंबन पर प्रमोद आनंद महाराज ने जताया मुख्यमंत्री धामी का आभार, मुकदमे की मांग

हरिद्वार जमीन घोटाले में डीएम के निलंबन पर प्रमोद आनंद महाराज ने जताया मुख्यमंत्री धामी का आभार। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 4 June 2025, 9:03 PM IST
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हरिद्वार: नगर निगम से जुड़े बहुचर्चित जमीन घोटाले मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जिला अधिकारी कर्मेंद्र दोवाल को निलंबित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए वरिष्ठ महामंडलेश्वर और हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष प्रमोद आनंद महाराज ने मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया है। उन्होंने इस कदम को भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का प्रतीक बताया।

पत्रकारों से बात करते हुए प्रमोद आनंद महाराज ने कहा, “मुख्यमंत्री ने मेरी मीडिया में दी गई अपील का संज्ञान लेते हुए यह साहसिक कदम उठाया है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे जनभावनाओं का सम्मान करते हैं और भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करते।” उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल शुरुआत है, और इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार महाराज ने स्पष्ट रूप से मांग की कि निलंबित जिलाधिकारी कर्मेंद्र दोवाल समेत तीनों संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही शुरू की जाए। उन्होंने कहा, “सिर्फ निलंबन से बात नहीं बनेगी, जब तक इन अधिकारियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी, तब तक भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना मुश्किल होगा।”

मुख्यमंत्री धामी की प्रशंसा करते हुए प्रमोद आनंद महाराज ने उन्हें ‘धाकड़ मुख्यमंत्री’ करार दिया और भरोसा जताया कि वे इस मामले में निष्पक्ष और कठोर कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का यह निर्णय उत्तराखंड में पारदर्शी प्रशासन और ईमानदार शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

महाराज ने यह भी कहा कि हरिद्वार जैसे धर्मनगरी में जमीन घोटाले का सामने आना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे क्षेत्र की पवित्र छवि को ठेस पहुंची है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई यह कार्यवाही इस पूरे मामले की गहन जांच का मार्ग प्रशस्त करेगी और सभी दोषियों को उनके कृत्यों की सजा मिलेगी।

हिंदू रक्षा सेना सहित विभिन्न धार्मिक संगठन इस मामले में राज्य सरकार के साथ खड़े हैं और तब तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं जब तक दोषियों को न्याय नहीं मिल जाता। यह कार्रवाई उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक मजबूत संदेश बनकर उभरेगी।

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