

हरिद्वार में विश्व सनातन महापीठ बनेगा सनातन संस्कृति का दिव्य केंद्र। पढिये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
न्यास के अध्यक्ष राम विशाल दास महाराज की प्रेस वार्ता
हरिद्वार: सनातन धर्म, वेद, संस्कृति और संत परंपरा के पुनरुत्थान का केंद्र बनने जा रहा है। तीर्थ सेवा न्यास ने "विश्व सनातन महापीठ" की स्थापना की घोषणा की है, जो केवल एक तीर्थ स्थल नहीं बल्कि युग निर्माण की योजना होगी। यह केंद्र वेद-धर्म-संस्कृति के प्रचार-प्रसार, युवाओं को शास्त्र, शस्त्र और रोजगारपरक शिक्षा देने और संत परंपरा के संरक्षण का कार्य करेगा।
न्यास के परमाध्यक्ष बाबा हठयोगी महाराज ने बताया कि यह महापीठ भारतवर्ष में सनातन धर्म की गौरवशाली पुनर्स्थापना का माध्यम बनेगा। इसमें सनातन संस्कृति का दर्शन, पराक्रम, परंपरा, विज्ञान और जीवन मूल्यों का समन्वय एक ही स्थल पर साकार होगा। बाबा हठयोगी महाराज ने इसे ‘दिव्य केंद्र’ और ‘मानवता के उत्थान का ध्येय स्थल’ बताया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता क अनुसार न्यास के अध्यक्ष राम विशाल दास महाराज ने जानकारी दी कि यह महापीठ हरिद्वार की पवित्र भूमि पर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह वह पवित्र स्थान होगा जहां शास्त्र और शस्त्र एक साथ प्रतिष्ठित होंगे। यज्ञ से ऊर्जा, तप से शक्ति, सेवा से राष्ट्र और सदाचार से समाज का निर्माण होगा।”
उन्होंने बताया कि इसके लिए भूमि चयन समिति का गठन कर दिया गया है और शीघ्र ही भूमि चयन की प्रक्रिया पूरी कर निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इस महापीठ के प्रथम चरण का अनुमानित बजट 300 करोड़ रुपए रखा गया है जबकि सम्पूर्ण परियोजना का खर्च 500 करोड़ रुपए आंका गया है।
महापीठ से जुड़ी तिथियों की भी घोषणा की गई है। 21 नवम्बर 2025 को भूमि पूजन, 21 नवम्बर 2026 को यज्ञशाला और गौ संरक्षण केंद्र का उद्घाटन और 22 फरवरी 2029 को पूरे महापीठ का भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाएगा।
इस दिव्य केंद्र में 108 यज्ञशालाओं का निर्माण प्रस्तावित है, जो वेद और यज्ञ परंपरा को पुनर्जीवित करेंगे।
महापीठ का उद्देश्य आध्यात्मिक शिक्षा, राष्ट्र निर्माण और सनातन जीवन मूल्यों की पुनर्स्थापना को समर्पित है।