

हरिद्वार के कलालहटी में आवासीय विद्यालय का निर्माण वंचित तबकों के बच्चों को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा।
हरिद्वार में वंचितों के सपने होंगे पूरे
हरिद्वार: जनपद के भगवानपुर विधानसभा क्षेत्र स्थित कलालहटी गांव में शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल होने जा रही है। अनुसूचित जाति समाज के बच्चों के लिए यहां 35 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक आवासीय विद्यालय का निर्माण किया जाएगा।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार इस विद्यालय की स्थापना का उद्देश्य समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है, जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके और वे आत्मनिर्भर बन सकें। आवासीय सुविधा के साथ यह विद्यालय छात्रों को एक सुरक्षित और अनुशासित वातावरण प्रदान करेगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक समरसता और समावेशिता को बल मिलेगा।
शिलान्यास से पहले पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल ने विद्यालय स्थल का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्माण कार्य की संभावित रूपरेखा और ज़मीन की भौगोलिक स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने कहा कि यह विद्यालय आने वाले वर्षों में क्षेत्र के शैक्षणिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगा और अनुसूचित जाति समाज के बच्चों को एक नई दिशा प्रदान करेगा।
निरीक्षण के दौरान भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष विराट गोयल, महामंत्री हिमांशु चौधरी, समाजसेवी आवेश चौहान सहित कई अन्य स्थानीय नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने इस परियोजना को सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया।
स्थानीय जनता में इस परियोजना को लेकर उत्साह और उम्मीद का माहौल है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री धामी और सरकार का आभार जताया और उम्मीद जताई कि यह विद्यालय क्षेत्र के शैक्षणिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
इस पहल के माध्यम से राज्य सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज का सशक्तिकरण संभव है। कलालहटी जैसे ग्रामीण क्षेत्र में इतना बड़ा शैक्षणिक संस्थान बनना राज्य में शिक्षा के प्रति बढ़ते सरकारी संकल्प का प्रतीक है।
यह आवासीय विद्यालय वर्तमान में समाज के वंचित तबकों के बच्चों को शिक्षा और रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होंगें।
आवासीय विद्यालयों के रूप में एक क्रांतिकारी शिक्षा मॉडल होंगें, जो हजारों श्रमिक परिवारों पर प्रभाव डालेंगें और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हजारों श्रमिक बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को परिवर्तित करने में सक्षम होंगे। यह गरीब बच्चों के सपने को उड़ान में बदल देगा।